पटना : शिशु मृत्यु दर में अव्वल रहने वाले बिहार में बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है. नीति आयोग और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य की दयनीय स्थिति बताती है. बच्चों की मृत्यु दर कम नहीं हो पा रही. यही वजह है कि प्रदेश में एक साल में 38 हजार बच्चों की मौत हो रही है. 5 साल में...
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बच्चियों के जीने लायक बने दुनिया-- डॉ सय्यद मुबीन जेहरा
कुछ मौतों का जिक्र हमारी जबान पर इसलिए नहीं आता है कि हम अब बड़ी-बड़ी मौतों पर चिंतन करनेवाले लोग हो गये हैं और हमारे चिंतन का केंद्र बिंदु भी सिर्फ सियासी हो चुका है. इसमें समाज के लिए न तो पहले जगह थी और न ही अब है और अगर यही हालात रहे, तो आगे भी नहीं होगी! जो समाज अपने बचपन से जुड़ी समस्या को लेकर चिंतित नहीं...
More »नौनिहालों की फिक्र किसे है--- देवेन्द्र जोशी
हाल ही में आई यूनिसेफ की रिपोर्ट चेताती है कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में भारत की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। भले ही इस मामले में हम पाकिस्तान से बेहतर स्थिति में हों, लेकिन हमारी स्थिति बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से भी बदतर है। भारत नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में इथियोपिया, गिनी-बिसाऊ, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और तंजानिया के समकक्ष खड़ा दिख रहा है। भारत में...
More »पर्याप्त सरकारी मदद के जरिये ही पहुंच सकती हैं सभी तक स्वास्थ्य सेवाएं
भारत के विशाल और विविध भू-भागों में रहने वाली आबादी तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती रही है. इसमें बड़ी कमी सरकारों की रही है, जो अपने कुल बजट का महज एक फीसदी तक हिस्सा ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मद में खर्च करती रही है. स्वास्थ्य क्षेत्र के समूच परिदृश्य समेत इससे संबंधित अन्य पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का वर्षारंभ ... अनंत कुमार एसोसिएट प्रोफेसर,...
More »सामूहिकता जब नजीर बन जाए-- रामचंद्र गुहा
अच्छे से बाल बांधकर पीली टी-शर्ट पहने पांच साल की सौम्या कश्यप की फोटो देखकर एकाएक नजरें उसकी बड़ी-बड़ी आंखों पर टिक जाती हैं। सौम्या की गोलमटोल आंखें न जाने दुनिया को खोजने की चाहत बयां करती हैं। फोटो में दिख रही उसकी आंखों की चमक और मासूम चेहरा अब असल जिंदगी में देखने को नहीं मिल पाएगा। दो महीने पहले शनिवार के दिन स्कूल जाते समय वह स्कूल बस...
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