जनसत्ता 8 मार्च, 2013: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की बात करना फैशन नहीं, जरूरत है। इक्कीसवीं शताब्दी में भी महिलाएं संविधान-प्रदत्त मूलभूत अधिकारों को पाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। यह जद्दोजहद नई नहीं, सहस्राब्दियों पुरानी है। मानव-सभ्यता जब पृथ्वी पर पनपने लगी तो पुरुष ने अपनी शारीरिक सामर्थ्य का फायदा उठाते हुए पहला अधिकार स्त्री पर जताया था। महिलाओं के शोषण की कहानी वहीं से शुरू हो...
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जमीन पक रही है- भारत डोगरा
जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
More »जल बंटवारा अधिसूचना रद करने के फैसले को चुनौती
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच चल रहे जल बंटवारा और सिंचाई परिसंपत्तियों के प्रबंधन विवाद में अब केंद्र सरकार भी कूद गई है। केंद्र सरकार ने गंगा मैनेजमेंट बोर्ड का गठन होने तक सिंचाई परिसंपत्तियों के संचालन की बागडोर उत्तर प्रदेश को सौंपे जाने वाली उसकी अधिसूचना रद करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की याचिका पर दोनों राज्यों...
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