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“सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे”

-न्यूजलॉन्ड्री, “झुग्गी-झोपड़ी वालों को इंसान ही ना समझ रहे, बताओ हम कहां जांएगे...अब कहां है मोदी और केजरीवाल, जो झुग्गीवालों को पक्के मकान देने के वादे कर रहे थे. ये सब डब्ल्यूएचओ का करा-धरा है, और कोई भी इसके खिलाफ बोल ना रहा. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब तक हमारी तरफ काम नहीं शुरू होगा इनका काम भी हम नहीं होने देंगे.” ये आरोप बुधवार को आईटीओ के पास अन्ना नगर...

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गुजरात: नाराज प्रवासी मजदूरों ने एबीपी के पत्रकार पर किया हमला

-न्यूजलॉन्ड्री,  देश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक लाख के पार पहुंच गया है जबकि 3000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. सोमवार को पिछले 24 घंटे में ही रिकार्ड 5000 से ज्यादा नए कोरोना के मामले सामने आए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन को एक बार फिर चौथे चरण में बढ़ाते हुए 31 मई तक करने का...

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बिहार: श्रमिक ट्रेन से उतर ट्रक में चढ़े थे मज़दूर, ट्रक की बस से टक्कर में नौ लोगों की मौत

-द वायर, कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर देशभर में हुए लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर लगातार सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं. ताजा मामला बिहार के भागलपुर जिले का है. भागलपुर जिले के नवगछिया कस्बे में मंगलवार सुबह एक ट्रक की बस से टक्कर हो गई, जिसमें नौ प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ट्रक में 15 प्रवासी मजदूर थे, जो बेंगलुरु से आ...

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लॉकडाउन की वजह से देश में प्रतिदिन हो रही 10 से ज्यादा मौतें, पैदल घर जा रहे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा

-गांव कनेक्शन,  कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश में प्रतिदिन 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। 51 दिनों में (14 मई तक) अब तक 516 लोगों की जान चुकी है। इसमें पैदल जा रहे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछले तीन दिन में (14 से 16 मई के बीच) देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई सड़क दुर्घटनाओं में...

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सरकार जानती है, मजदूर बुरा नहीं मानते। लौट कर आएंगे, और कहां जाएंगे!

-जनपथ, श्रम, उत्पादन और निर्माण की प्रमुख धुरी है. श्रमिकों के बगैर इस दुनिया के गढ़े जाने की कल्पना नहीं की जा सकती. बावजूद इसके, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक हाशिये पर हैं. हर आने वाली सरकार ने श्रम कानूनों को लघु से लघुतर बनाया है. कार्यस्थलों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में दुर्घटनाओं में मजदूरों का मरना बदस्तूर जारी है. बुनियादी सुविधाओं की मांग, हड़ताल, यूनियन, सब जैसे बीते जमाने की बातें...

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