आपको यह जानकर अचरज होगा कि जिस तरह आज हम अंग्रेजी में ‘द न्यू रियल' यानी नयी सच्चाई को जगह देकर पुरानी सचाइयों को खारिज कर रहे हैं, वह सिलसिला आज का नहीं, बहुत पुराना है. सदियों से हर नयी पीढ़ी यह दावा करती आयी है कि वह पुरानों से बेहतर है. सबसे पहले का लिखित दावा 11वीं सदी के आसपास का है. इसमें मिथिला के उदयनाचार्य अपने निकट परवर्ती...
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अपनों से ही शर्मसार होती मानवता-- राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
आंकड़े भले ही दिल्ली के हों, पर कमोबेश यह तस्वीर सारी दुनिया की देखने को मिलेगी। राजधानी दिल्ली में 2017 की आपराधिक गतिविधियों की बाबत दिल्ली पुलिस द्वारा इसी माह जारी आंकड़ों में कहा गया है कि बलात्कार के सत्तानवे फीसद मामलों में महिलाएं अपनों की ही शिकार होती हैं। अपनों से मतलब साफ है कि या तो रिश्तेदार या जान-पहचान वाले या फिर दोस्त। इसका मतलब यही निकल के...
More »गौरी लंकेश की हत्या किसने की?-- योगेन्द्र यादव
जबसे उनकी कायराना हत्या की खबर आयी, तबसे बार-बार यह सवाल पूछ रहा हूं. किसी मौत पर हमारी प्रातिक्रिया इस पर निर्भर करती है कि हम मृतक से कितना नजदीकी महसूस करते हैं. यह जरूरी नहीं कि हम मृतक को जानते हों. जिस सड़क से हम रोज गुजरते हैं, जिस ट्रेन से हम रोज सफर करते हैं, उस पर होनेवाले हादसे हमें गहराई से छूते हैं. 'इसकी जगह मैं हो...
More »समस्या धारा 370 नहीं, समस्या है दो अलग-अलग सोच-- प्रेम कुमार
धारा 370 बोलते ही मस्तिष्क में उभर आता है जम्मू-कश्मीर, जुबान पर आ जाती है बीजेपी, नज़र आने लगते हैं सेकुलरवादी और टीवी पर झगड़ते बंटे हुए नेता. धारा 370 यानी जम्मू-कश्मीर के प्रताड़ित और विस्थापित हिंदू, धारा 370 से याद आने लगता है पाक अधिकृत कश्मीर, सियाचीन ग्लेशियर जैसे एकीकृत जम्मू-कश्मीर के कटे हुए हिस्से, जिन पर पड़ोसियों का कब्जा है. धारा 370 यानी कश्मीर विवाद में पाकिस्तान की...
More »खानपान थोपने की बेजा कोशिशें - मृणाल पांडे
पिछले कुछ समय से भारतीय खानपान के लोकतंत्र में मांसाहार के खिलाफ शाकाहार के स्वयंभू रक्षकों ने एक अजीब सा धावा बोल रखा है। भारतीय परंपरा की शुचिता बनाए रखने की अपील करते हुए वे देश के सभी लोगों को जबरन मांसाहार से शाकाहार की तरफ हांक रहे हैं। संभव है कि उनको किसी हद तक शाकाहारी धड़े के मन की बनावट की कुछ जानकारी हो, किंतु वे इस महत्वपूर्ण...
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