कभी आपने सोचा है कि बाजार में मिलने वाले गोश्त, यानी मटन के मुकाबले चिकन यानी मुर्गा इतना सस्ता क्यों होता है? यह सस्ता चिकन लोगों के लिए सेहत बनाने का एक अच्छा विकल्प भी है। लेकिन क्या यह वास्तव में इतना सस्ता होता है? या सेहत के लिए सचमुच इतना अच्छा होता है? चिकन के बड़े पैमाने पर उत्पादन से होने वाले नुकसान के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया...
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किसानों को उचित दाम दीजिए- भरत झुनझुनवाला
किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनशील दिखती है, पर मात्र संवेदनशीलता से बात नहीं बनती है. पाॅलिसी की दिशा भी सही होनी चाहिए. मात्र उत्पादन बढ़ाने से किसान का उद्धार नहीं होगा. साठ के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में खेत परती पड़े रहते थे. सिंचाई रहट और ढेकली से होती थी. आज पूरे क्षेत्र में ट्यूबवेल का जाल बिछ गया है. बैल के स्थान पर ट्रैक्टर से खेती हो...
More »जमीन को लील गई बाढ़
संवाद सूत्र, पुरोला: बीते चार वर्षो में रवांई घाटी में बाढ़ व भूस्खलन ने खेती की जमीन को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। फल और नकदी फसल उत्पादकों की 12 सौ नाली कृषि भूमि को कुदरत का कहर लील गया। इससे प्रभावित काश्तकार अब बची हुई जमीन पर ही खेती करने को मजबूर हैं। क्षेत्र में हर साल बरसात के दौरान करीब बारह छोटी बड़ी नदियां विकराल रूप ले लेती हैं।...
More »काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करें: बाबा रामदेव
यवतमाल. देश की जनता दरिद्रता, बीमारी, भूख, कुपोषण से पीड़ित है। सभी तरह से बेहाल है फिर भी देश के नेताओं ने जनता को चूस-चूसकर भ्रष्टाचार के माध्यम से थोड़ा नहीं बल्कि 4 लाख करोड़ रु. का काला धन विदेशी बैंक में जमा कर रखा है। इस काला धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देश में लाना जरूरी है। इस राष्ट्रीय संपत्ति का उपयोग करने से देश सिर्फ बलवान ही नहीं...
More »वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
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