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बिना परमिशन के चल रहे हैं देश में 1.6 लाख हेल्थ केयर सेंटर: सीपीसीबी

-डाउन टू अर्थ,  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 जुलाई, 2020 को दिए अपने आदेश में साफ कर दिया है कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न हो रहे बायो-मेडिकल वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निपटान करना जरुरी है| इसके साथ ही इसे आम कचरे से भी अलग करना जरुरी है| एनजीटी के अनुसार यह ने केवल बायो मेडिकल वेस्ट के उपचार और निपटान सुविधा (सीबीडब्ल्यूएफएफ) पर पड़ रहे दबाव को कम करने...

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इलाज का मनमाना खर्च नहीं वसूल पाएंगे निजी अस्पताल

-इंडिया टूडे, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और इलाज के लिए निजी अस्पताल पहुंचाने वाले लोगों से मनमाना शुल्क वसूलने की प्रवृत्ति पर उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाम कसने की कवायद की है. निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों से अब मनमाना शुल्क नहीं वसूला जा सकेगा. यूपी की योगी सरकार में अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य, अमित मोहन प्रसाद ने एक आदेश जारी कर बकायदा हर श्रेणी के हिसाब से...

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कोविड19 इलाज: होम केयर पैकेज के बारे में कितना जानते हैं आप?

-बीबीसी,  कोरोना का कोई ठोस इलाज फिलहाल मौजूद नहीं है. बावजूद इसके, प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आए तो आपको कई लाख इसके लिए ख़र्च करने पड़ सकते हैं. सोशल मीडिया पर कई अस्पतालों के रेट लिस्ट इन दिनों खूब वायरल हो रहे हैं. लेकिन कोविड19 के इलाज के लिए दो बातें जाननी बेहद ज़रूरी हैं. पहला ये कि हर किसी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती....

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एकाध को छोड़, ज्यादातर राज्यों ने इस लॉकडाउन में जरूरतमंद दिव्यांगजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया

कोविड-19 महामारी के इस दौर में दिल्ली के एक गैर-लाभकारी संगठन – नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिस्बेल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि देश में दिव्यांगजन इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.   एनसीपीईडीपी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के दिव्यांगजन, लॉकडाउन के दौरान गंभीर कठिनाइयों से गुजर रहे थे. भोजन...

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तालाबंदी से खुला अनचाहे गर्भ का रास्ता!

-इंडिया टूडे, मुरादाबाद के हरपाल नगर चौराहे पर होप हॉस्पिटल ऐंड मैटरनिटी सेंटर में डॉ. शाजिया मोनिस ऑपरेशन थिएटर से मुस्कराते हुए निकलती हैं और बताती हैं, ‘‘आज तीन दिन बाद एक डिलिवरी हुई है.'' लॉकडाउन से पहले इस मैटरनिटी सेंटर में हर रोज तीन-चार डिलिवरी होती थी और लगभग इतना ही लीगल एबोर्शन या गर्भपात के मामले होते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद अचानक जच्चा-बच्चा के मामले आने कम हो...

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