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मॉनसून में कमी के चलते ग्रामीण इलाकों में बढ़ी मनरेगा के तहत काम की मांग

डाउन टू अर्थ, 13 सितम्बर  पिछले तीन महीनों में मॉनसून के दौरान पर्याप्त बारिश न होने के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में काम की मांग काफी बढ़ गई है। कुछ राज्यों में तो यह मांग महामारी के समय से भी ज्यादा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक सितंबर के दूसरे सप्ताह तक देश में होने वाली मानसूनी बारिश में 40...

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किस हाल में हैं विनोबा भावे के ग्रामदानी गांव?

डाउन टू अर्थ. 7 अगस्त "दिल्ली और मुंबई में हमारी सरकार है, लेकिन हमारे गांव में, हम खुद सरकार हैं। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के वन क्षेत्र के अंदर बसे गांव मेंढा (लेखा) में यह वाक्य लिखा एक बोर्ड आपका स्वागत करता है। बोर्ड पर लिखा यह वाक्य जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए गांव द्वारा स्थापित स्व-शासन की एक बानगी है। लगभग 500 गोंड आदिवासियों के इस गांव ने...

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जोशीमठ भूधंसाव के मामले में केंद्र सरकार ने दिया गोलमोल जवाब

डाउन टू अर्थ, 1 अगस्त  जोशीमठ भूधंसाव के मामले में सरकार से संसद में सवाल पूछा गया, लेकिन सरकार की ओर से केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पुरानी बातें दोहरा दी। उन्होंने बताया कि भूधंसाव के बाद तपोवन-विष्णुगाड पन बिजली परियोजना और हेलंंग मारवाड़ी बाइपास का काम रोक दिया गया था। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि हेलंग बाइपास का काम बाद में शुरू...

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बाघों की बढ़ती आबादी को संभालने में कितने सक्षम हैं भारत के जंगल

मोंगाबे हिंदी, 31 जुलाई पांच दशक पहले की बात है, देश में बाघों की पहली गिनती के नतीजों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। बाघों की आबादी घटकर 1,827 पर आ गई थी। यह संख्या 20वीं सदी के शुरू में अनुमानित 20,000-40,000 से काफी कम थी। इसी खतरे को भांपते हुए 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम आज भी भारत में बाघों को बचाने...

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हिमाचल प्रदेश में विनाश के लिए कितनी जिम्मेवार हैं विकास परियोजनाएं?

डाउन टू अर्थ, 13 जुलाई विकास के नाम पर पर्यावरण और पारिथितिकी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ का नतीजा पिछले तीन दिनों में हिमाचल में देखने को मिला है। पिछले तीन दिनों में हिमाचल में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपति को नुकसान पहुंचा है। यदि मॉनसून सीजन की बात करें तो 16 दिनों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 72 से अधिक जानें चली गई हैं। लेकिन...

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