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nrc को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...

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आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते आंकड़ें

विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्रोतों के आंकड़ें आप्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को लेकर फैलाए गए भ्रमों और तथ्यहीन कुतर्कों को खारिज करते हैं.   अनेकों मीडिया रिपोर्टें यह खुलासा करती हैं कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRIC), जिसे देशभर में लागू किए जाने की उम्मीद है, के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में डिटेनशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. हालांकि मीडिया के सामने सरकार एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बीच किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर रही है,...

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सीएए-एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन में मारे गए लोगों को सांप्रदायिक रंग क्यों दे रही है बिजनौर पुलिस?

मंगलवार दोपहर के दो बज रहे हैं. बीते शुक्रवार यानी 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नहटौर इलाके में हुए विवाद और दो हत्याओं के पांच दिन बाद धीरे-धीरे बाज़ार खुलने लगे है. नहटौर मार्केट में हल्की-फुल्की चहल-पहल देखने को मिलती है. विवाद के बाद हुई पुलिसिया कार्रवाई की दहशत से घर छोड़कर चले गए लोग अब धीरे-धीरे अपने घरों को लौटने लगे हैं. हालांकि अभी भी...

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जामिया: हर छात्र के पास है पुलिस की बेरहमी की एक कहानी

रविवार शाम सात बजे जब हम आश्रम से जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बीच लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर तय कर रहे थे तब रास्ते में हमें ऐसे कई निशान दिखे जो बताते थे कि यहां कुछ बहुत बुरा घटा है. सड़कों पर बिखरे हुए कांच के टुकड़े, ईंट-पत्थर, दिल्ली परिवहन निगम की जली-अधजली बसें, टूटे दोपहिया वाहन पूरे रास्ते में फैले थे. कुछ को प्रशासन द्वारा रास्ते से...

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असम में कुछ नहीं हासिल हुआ तो देश भर में एनआरसी से क्या हासिल होगा?-- कृष्ण प्रताप सिंह

कोई भी समस्या हो और वह कितनी भी जटिल क्यों न हो, सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे नागरिकों को उसके समाधान के प्रति आश्वस्त रखेंगी. वे ऐसा करती हैं तो इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि बेवजह के अंदेशे नहीं फैलते. साथ ही उन्हें लेकर उद्वेलित तबकों में ऐसे विश्वास का संचार होता है जो उन्हें सच्चे झूठे भयों से पीड़ित होने से बचाता है....

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