झारखंड से लेकर बिहार, मध्य प्रदेश और उड़ीसा तक फैले पहाड़िया समुदाय के लिए जिंदगी उतनी ही दुश्वार है जितनी सदियों पहले थी. धरती के सबसे पुराने बाशिंदे कहे जाने वाले इन लोगों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं. निराला की रिपोर्ट. हम झारखंड के सुंदरपहाड़ी इलाके के पहाड़ों पर हैं. चेबो नाम के एक गांव में, जिस तक उजले भारत की कोई चमक अब तक नहीं पहुंची है, हां, शोषण जरूर उन...
More »SEARCH RESULT
लाठी का लोकतंत्र - अनिल चमडिया
जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: छत्तीसगढ़ के बीजापुर के तीन गांवों के सत्रह आदिवासियों के केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस की गोलियों से मारे जाने की घटना पर दिल्ली में आयोजित एक सभा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जो कुछ कहा वह ऐसी तमाम घटनाओं पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि 28 जून 2012 की रात राजपेटा, सारकीगुड़ा और कोत्तागुड़ा में नक्सलियों के साथ...
More »मंदी से बचे रहेंगे खेत और किसान
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक भगत अपने वैचारिक आधार से ज्यादा गांवों के विकास का आधार तैयार करने के लिए जाने जाते हैं. 1983 में उन्होंने देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक गुमला के बिशुनपुर से विकास भारती नामक संस्था बना कर ग्राम विकास के काम की शुरुआत की. आज इस संस्था की राज्य के हर जिले में उपस्थिति है. विकास भारती का 30 वां साल चल रहा है. लंबी यात्र...
More »नक्सली नहीं आम आदिवासी मारे गए: ग्रामीण
छत्तीसगढ़ में पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों के साथ कथित मुठभेड़ों में 19 लोगों के मारे जाने के मामले पर गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है. ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि 28 जून की रात को छत्तीसगढ़ में हुए कथित मुठभेड़ों में मारे गए ज्यादातर लोग आम आदिवासी थे माओवादी नहीं, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह और सीआरपीएफ ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है. इससे जुड़ी...
More »महिलाओं का मध्य युगीन प्रदेश- प्रियंका दुबे की रिपोर्ट(तहलका, हिन्दी)
आखिर क्या वजह है कि मध्य प्रदेश में हर दिन औसतन 10 महिलाएं बलात्कार की शिकार बनती हैं? प्रियंका दुबे की रिपोर्ट हाल ही में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री उमा शंकर गुप्ता ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि पिछले तीन साल के दौरान राज्य में कुल 9926 बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं. 2009 में 3,071, 2010 में 3,220 और 2011 में बलात्कार के 3381 मामले. ये सरकारी आंकड़े हैं...
More »