पूरे एक साल बाद भी विमुद्रीकरण (सामान्यतया िजसे नोटबंदी कहा जाता है) का फायदा अभी भले न दिख रहा हो, लेकिन आगे चलकर इसका फायदा दिखना अभी बाकी है. क्योंकि, शुरू से ही इसके लांग टर्म में फायदा होने की बात शामिल रही है. विशेषज्ञों ने ऐसा माना है. यह बेहद स्वाभाविक है कि किसी भी बड़े और राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक विभिन्नताओं वाले देश में किसी ठोस और कठोर फैसले लेने से...
More »SEARCH RESULT
क्या सोचने पर पहरा है?-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
मनुष्य के जातीय गुणों पर चिंतन करनेवाले विद्वानों का मानना है कि सोचने की क्षमता मनुष्य को अन्य जीवों से अलग करता है. सोचने की क्षमता के कारण मनुष्य ज्ञान-विज्ञान का विकास कर पाता है. जब हम कहते हैं कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध आधिकार है, तो इसका मतलब होता है कि सोचने की स्वतंत्रता हमारा मानवाधिकार है. ऐसे में यदि कोई सरकार या समाज मनुष्य के सोचने पर पहरा लगाना...
More »नोटबंदी: अर्थशास्त्री ने तंज मारते हुए लिखा- दूसरे देश ले सकते हैं ये चार सबक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल लागू की गयी नोटबंदी के पक्ष-विपक्ष में बहसों का दौर अभी थमा नहीं है। पीएम मोदी ने आठ नवंबर 2016 को तत्काल प्रभाव से उसी रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर अमेरिका के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री भास्कर चक्रवर्ती ने हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में मोदी...
More »प्रदूषित हवा के खिलाफ कदम-- प्रार्थना बोरा
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2016 के अंत में पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाई-ऑक्साइड के अनुपात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। 2015 में यह वृद्धि पिछले दस वर्षों के औसत वृद्धि अुनपात से लगभग 50 फीसदी ज्यादा दर्ज हुई थी। एक अन्य रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की भी है, जो और भयावह निष्कर्ष पर पहुंचती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में...
More »विकास बनाम जातिवाद का द्वंद्व - विजय संघवी
गुजरात में चुनावी रस्साकशी चरम पर है। इस राज्य में अगर कांग्रेस की रणनीति पर गौर करें तो लगता है कि उसने सत्ता में वापसी की अपनी तमाम उम्मीदें जातिगत समीकरणों पर टिका दी हैं। गौरतलब है कि उसने तकरीबन चार दशक पूर्व 1980 में भी इस राज्य में जातिगत समीकरणों को साधते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया था। लेकिन कांग्रेस यह भूल रही है कि तब से अब तक...
More »