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कैसे तबाह होती है एक समृद्ध जीवनशैली-- जसिन्ता केरकेट्टा

ओडिशा के कुचईपदर गांव में उत्कल एल्युमिना प्लांट लगने के बाद पहली बार स्त्रियों के साथ बलात्कार की घटना सामने आई. इस आदिवासी इलाके में चोरी, छिनैती जैसी घटनाएं बढ़ीं. स्त्रियां अकेली नदी में नहाने से डरने लगीं. दिनदहाड़े स्त्रियों और बच्चियों को उठा ले जाने, उन पर बुरी नज़र डालने, उनसे छेड़खानी करने का डर चारों ओर फैलने लगा. गांव में गायत्री पूजा होने लगी और लोगों में आदिवासी...

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जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम

हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...

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राज्यों में किसानों के लिए कर्जमाफी की योजनाओं से केंद्र पर दबाव बढ़ा

आम चुनावों (Loksabha Elections) से ठीक पहले कई राज्यों द्वारा किसानों के लिए कर्जमाफी (farmers loan waiver) और नकद राशि हस्तांतरण योजनाएं शुरू करने से केंद्र पर दबाव बढ़ने लगा है। किसानों को राहत देने के लिए हालांकि केंद्र में भी शीर्ष स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है। लेकिन गैर-भाजपा शासित राज्यों में ऐसी योजनाओं से भाजपा शासित राज्यों पर भी दबाव बढ़ रहा है। दिसंबर में तीन राज्यों मध्य...

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आश्रय गृहों का हाल खराब

पिछले दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग की तीन सदस्यीय जांच टीम ने चार राज्यों के 26 महिला आश्रय गृहों का दौरा किया, जिनमें से 25 में अनियमितता पायी गयी. ये चार राज्य थे- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और ओड़िशा. ज्ञात हो कि इन आश्रय गृहों में वे महिलाएं होती हैं, जो यौन हिंसा के शिकार हों या छोड़ दी गयीं या अन्य प्रकार की पीड़िता. महिलाओं की बदतर स्थिति तथा...

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कृषि जोतों के आकार में कमी चिन्ता का सबब: नई कृषि जनगणना

खेती-किसानी के मोर्चे से एक बुरी खबर आयी है. नयी कृषि जनगणना के आंकड़ों का संकेत है देश में कृषि जोतों का औसत आकार लगातार कम हो रहा है.(आंकड़ों के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)   साल 2010-11 में कृषि जोतों का आकार 1.15 हेक्टेयर(राष्ट्रीय औसत) था जो पांच साल बाद 2015-16 में घटकर 1.08 हेक्टेयर हो गया है. कृषि-जोतों के आकार में कमी लागत और व्यावहारिकता के तकाजे से चिन्ता...

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