अकेले नहीं आता अकाल. पानी, प्रकृति और समाज के देशज चिंतक अनुपम मिश्र के लेख का यह शीर्षक अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. कुदरत सूखा देती है, अकाल नहीं. हर चौथे-पांचवें साल हमारे देश में बारिश की कमी होती है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे अन्न की कमी हो, पीने के पानी का संकट हो, इंसानों और मवेशियों की जान पर बन आये, खेती-किसानी से जुड़े हर...
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सूखे का साया
आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
More »सूखे की मार लगातार, 40 प्रतिशत से ज्यादा जिले सूखे की चपेट में
देश के 40 फीसदी से भी ज्यादा जिले इस साल सूखे की चपेट में हैं और आशंका जतायी जा रही है कि सूखे के हालात खाद्य-संकट की स्थिति पैदा कर सकते हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आकलन के मुताबिक कुल 640 जिलों में से 283 जिले सूखे की चपेट में है. इन जिलों में इस साल मौसमी बारिश की मात्रा में 20 से लेकर 90 प्रतिशत की कमी आई...
More »कृषि पर मंडराते संकट से निबटें- भरत झुनझुनवाला
प्रशांत महासागर के द्वीपीय राज्यों के प्रमुखों से वार्ता करने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल वार्मिंग के प्रति भारत की गंभीरता का आश्वासन दिया. ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय एवं अंटार्कटिका में जमे हुए ग्लेशियर के पिघलने का अनुमान है. इस पानी के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और कई द्वीप जलमग्न हो सकते हैं. मोदी की आगामी अमेरिकी यात्रा में भी ग्लोबल वार्मिंग पर अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से...
More »वर्षा के पैटर्न में गंभीर परिवर्तन- भरत झुनझुनवाला
इंद्रदेव देश के साथ आंख मिचौली खेल रहे हैं. जून में वर्षा सामान्य रही. इसके बाद जुलाई के पहले पखवाड़े में वर्षा बहुत कम रही. सूखे की संभावना बढ़ती जा रही थी. लेकिन जुलाई के दूसरे पखवाड़े में देश के तमाम क्षेत्रों में अच्छी वर्षा होने से स्थिति पुन: सामान्य हो गयी है. वर्तमान में वर्षा सामान्य से मात्र दो प्रतिशत कम है. राजस्थान के दक्षिणी इलाकों में भारी वर्षा...
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