सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...
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मनरेगा का हाल: इस जिले में केवल एक परिवार को मिला 100 दिनों का रोजगार
बेरोजगारों को रोजगार देने के मकसद से शुरू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) हरियाणा में दम तोड़ रही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 अब खत्म होने वाला है, लेकिन हरियाणा के चरखी-दादरी जिले में अब तक महज एक परिवार को इस योजना के तहत 100 दिनों का रोजगार मिला है। जबकि जिले में योजना का लाभ लेने के लिए 22,753 परिवार रजिस्टर्ड है। इस जिले के...
More »ऑडी कार दूध नहीं देगी लेकिन उतने में एक मुर्रा भैंस आ जाएगी: हरियाणा के किसान
‘ये 9 साल की मोहिनी है. इसके परिवार की तीन पीढ़ियों ने हमें कम से कम 20 लाख रुपए का फायदा करवाया है. ये भैंस हमारे लिए बेश्कीमती है. हम इसको करोड़ों रुपए मिलने पर भी नहीं बेचेंगे. खट्टर और बादल से (हरियाणा व पंजाब) से अवॉर्ड जीत चुकी है ये. म्हारे बालकों तै ज्यादा अवॉर्ड तो म्हारी भैंस ल्यावैं है.’ (हमारे बच्चों से ज्यादा तो हमारी भैंस अवार्ड लाती...
More »उम्मीदें बजट 2020: कस्बों के अस्पताल दुरुस्त हो जाएं तो बड़े अस्पतालों पर कम पड़े बोझ
लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें, प्राइवेट अस्पतालों के बढ़ते खर्चे के बीच सभी की निगाहें देश के अगले बजट पर हैं। क्या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के लिए बजट में खास व्यवस्था होगी? देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर जारी होने वाली रिपोर्ट 'नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2018' के अनुसार देश में 37,725 सरकारी अस्पतालों में 7,39,024 बेड हैं। करीब 10 हजार लोगों पर सिर्फ एक एलोपैथिक...
More »पूरे परिवार को तोड़ देती है आत्महत्या, महिला किसानों को गुजारनी पड़ती है विपदा की जिदंगी
-डाउन टू अर्थ खेती-किसानी करने वालों की जिंदगी एक ऐसे डगर पर चल रही होती है कि जब वे फिसलते हैं तो कोई न कोई फंदा उनका गला कसने को तैयार रहता है। खेतों में काम करते हुए महिला किसानों को भी बड़ी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 1995 से 2018 के बीच कुल 23 वर्षों में खेती-किसानी से संबधित 353,802 लोगों ने...
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