इस साल अच्छी मानसूनी बारिश से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इस बाढ़ की वजह अच्छी बारिश उतनी नहीं है जितनी कि विकास की अंधी दौड़ में पानी के कुदरती निकासी तंत्र को भुला दिया जाना। शहरों का विकास नदियों के बाढ़ क्षेत्रों, तालाबों व समीपवर्ती कृषि भूमि की कीमत पर हो रहा है। शहरों के...
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आदर्श गांव कहने से नाराज हो जाते हैं गांव वाले
टीम नईदुनिया।मध्य प्रदेश में आदर्श ग्राम योजना अपने मकसद में फिलहाल पिछड़ती दिख रही है। कुछ वीआईपी सांसदों के गोद लिए गांवों का हालचाल हमने कल देखा था। आज हम ऐसे कुछ और गांवों का हाल देखेंगे। इनमें से कुछ गांवों के निवासी तो आदर्श ग्राम का तमगा सुनकर अब नाराज भी हो जाते हैं। यहां इक्का-दुक्का काम को छोड़ दें तो हालत जस की तस है। योजना के क्रियान्वयन में...
More »आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी
वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...
More »शहरीकरण से दूर होगी गरीबी?-- अनुपम त्रिवेदी
पिछले महीने पुणे में स्मार्ट सिटी परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण को समस्या नहीं, बल्कि गरीबी दूर करने का एक अवसर माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी में गरीबी कम करने की क्षमता है, तो वह हमारे शहर हैं, क्योंकि वहां काम के अवसर हैं. यही वजह है कि गरीब गांवों से निकल कर शहरों में जाते हैं. लेकिन, क्या यह सच...
More »सड़क न पगडंडी, कुंआरों को नहीं मिलतीं दुल्हनें-- जीतेन्द्र कुमार झा
जमुई जिले के इस गांव में जब कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है, तो उसे अस्पताल ले जाने में लोगों की सांस अटक जाती है। इलाज के अभाव में कई लोग असमय दम तोड़ देते हैं। यह गांव है जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर पर बसा लठाने नीचली टोला। पीड़ा यह कि गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क तो छोड़िये, कच्ची सड़क भी नहीं है।...
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