नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। देश के प्रमुख अन्न उत्पादक राज्यों में मानसून की देरी से संकट के बादल फिर मंडरा रहे हैं। जून का महीना इस क्षेत्र में खेती के लिए खराब साबित हुआ। इस दौरान इतनी बारिश नहीं हुई कि किसान हल चलाने निकल पड़ता। धान, सोयाबीन और मोटे अनाज की खेती वाले प्रमुख अन्न उत्पादक सात राज्यों में जून में 22 से 82 फीसदी तक कम...
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दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »राज्य में धान, गेहूं व दलहन का उत्पादन लक्ष्य से कम
कोलकाता। राज्य में धान समेत अन्य अनाजों का उत्पादन लक्ष्य से कम हो रहा है। इससे राज्य सरकार की चिंता बढ़ गयी है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जरिये पश्चिम बंगाल में धान, गेहूं व दलहन का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस सिलसिले में राज्य के कृषि अधिकारी सार्थक कुमार वर्मा ने बताया कि जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है उस अनुपात में अनाज का उत्पादन नहीं बढ़ रहा...
More »महाराष्ट्र पर न्यौछावर दलहन-तिलहन बीज गांव योजना
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह], नाम राष्ट्र का, काम महाराष्ट्र का। देश को दालों और खाद्य तेलों की किल्लत से बचाने की केंद्र सरकार की दलहन-तिलहन बीज गांव योजना का असल क्रियान्वयन कृषिमंत्री शरद पवार के गृह राज्य में होगा। योजना के तहत सात राज्यों के जिन असिंचित गांवों का चयन किया गया है, उनमें सर्वाधिक 14,400 गांव महाराष्ट्र के हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के केवल 5,400 गांवों को शामिल किया गया है। जबकि मध्य प्रदेश...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
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