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कमजोर मानसून की कीमत चुकाती खेती- सुरुचि भड़वाल

अपने देश में मानसून की शुरुआत पश्चिमी और उत्तरी समुद्री तट से जून के महीने में होती है, फिर बारिश धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचती है। यह पूरी प्रक्रिया चार महीनों की होती है, और इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में 80 फीसदी से अधिक बारिश होती है। लेकिन चूंकि सभी जगह कम दबाव का क्षेत्र एक समान नहीं बनता, इसलिए सब जगह बारिश भी एक जैसी नहीं...

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गांव-देहात व किसान से वास्ता नहीं- केसी त्यागी

आम बजट और रेल बजट को देख कर यह सहज रूप से कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार बजट के पीछे राजनीति कर रही है. राजनीति इस अर्थ में कि जो भाजपा कहती है, वह करती नहीं है. जो वादा करती है, उसके पीछे उसकी मंशा क्या है, तथा आम आदमी के प्रति वह कितनी हमदर्द है, वह आम बजट और रेल बजट से साबित हो गया है. सरकार...

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मोटे अनाज की खेती से बहुरे किसानों के दिन

किसानों के लिए वह स्थिति और भी कष्टदायी होती है, जब मॉनसून फेल हो जाने या कम वर्षा होने के कारण वह सही तरीके से धान की फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं. कृषि वैज्ञानिक किसानों को हमेशा यह सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें खेती के दूसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खेती के लिए फसल के दूसरे विकल्पों में मक्का तथा मडुवा के...

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मानसून कमजोर रहा तो हरियाणा में घट सकता है धान का रकबा - सुशील भार्गव

करनाल. कमजोर मानसून की आशंका के चलते इस बार प्रदेश में खरीफ फसलों का रकबा घट सकता है। खासकर धान का। हालांकि कृषि विभाग ने करीब ११.५० लाख हेक्टेयर में धान रोपाई का लक्ष्य रखा है, लेकिन कम बरसात का असर पड़ सकता है। प्रदेश में मानसून जून के अंत या जुलाई के शुरू में पहुंचता है, जबकि किसान १५ जून से ही धान रोपाई शुरू कर देते हैं।  कृषि विशेषज्ञों का...

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मॉनसून साथ न दे, तो भी अच्छी खेती करें- डा. प्रवीण कुमार द्विवेदी

झारखंड और बिहार में मॉनसून की आंखमिचौली एक तरह से स्थायी समस्या बन गयी है. इन परिस्थितियों में फसलों की बरबादी और कम उत्पादन की आशंकाएं रहती हैं. इस विषम परिस्थिति से निबटने का सही तरीका कुशल प्रबंधन है. यह प्रबंधन किसानों को करना है. इस बार मौसम पूर्वानुमान में मॉनसून का ज्यादा साथ देने की संभवना कम व्यक्त की गयी है. ऐसे में किसान संयम, समझ और जागरूकता से काम...

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