बढ़ती महंगाई का असर जितना शहरों में देखने को मिल रहा है उससे भी ज्यादा इसका शिकार ग्रामीण भारत हो रहा है। ग्रामीण भारत की थाली की हालत इतनी चिंताजनक हो चली है कि उसकी थाली में पिछले 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। नेशनल न्यूट्रीशन मॉनीट्रिंग ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी यानी 84 करोड़ लोगों को ज़रुरत से...
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बराबरी के हक की पुरानी लड़ाई- एस श्रीनिवासन
तमिलनाडु में उत्सवी बयार बह उठी है, क्योंकि यह ‘आदि' का महीना है। तमिल कैलेंडर का चौथा महीना। इसकी शुरुआत जुलाई के मध्य महीने में हो जाती है। मान्यता है कि ‘दक्षिणया पुण्यकाल' आरंभ हो जाता है, यानी देवताओं के लिए रात की शुरुआत। यह महीना जल और प्रकृति से जुड़ी देवियों को समर्पित है। लिहाजा पूरे राज्य में अम्मा और देवी मंदिरों में पूजा-आराधना शुरू हो जाती है। कहा...
More »लाखों नवजातों की जान बचा रहे ये 'मिल्क बैंक'
नई दिल्ली/मुंबई। देश में पहली बार पुणे में मां का दूध संकलित कर जरूरतमंद शिशुओं तक पहुंचाने के लिए फ्लाइंग स्क्वाड की शुरुआत हुई है। विश्व स्तनपान सप्ताह के पहले दिन शुरू हुआ यह स्क्वाड घर-घर जाकर मांओं का दूध एकत्रित करेगा। दरअसल, बीते कुछ समय में देशभर में मांओं का दूध एकत्र करने का चलन बढ़ा है। कुछ निजी व सरकारी अस्पतालों में 'ह्यूमन मिल्क बैंक' शुरू होने के बाद...
More »कहानी रोशनी की और नौ लाख अति कुपोषित बच्चों के जीवन का सच
वैसे तो यह पूर्णिया जिले के सुदूरवर्ती गांव चंदरही की एक बच्ची और उसके परिवार की कथा है, मगर इस कथा में झांकेंगे तो बिहार के नौ लाख गंभीर रूप से अतिकुपोषित बच्चों के पारिवारिक जीवन की झलक मिलेगी. यहां एक मां है, जिसकी 12 साल की उम्र में शादी हो गयी. परिवार नियोजन के उपायों का पता नहीं था, सो 11 बच्चे हो गये. उनमें से पांच बेहतर स्वास्थ्य...
More »बच्चों को पतली दाल और बिना फल के देते हैं भोजन
रायपुर, ब्यूरो। बच्चों को सही पोषण देने के लिए स्कूलों के मिड-डे मील के मेनू में राज्य सरकार ने जो प्रावधान किया, उसका पालन नहीं हो पा रहा है। मेनू के हिसाब से न ही बच्चों को मौसमी फल दिया जा रहा है और न ही गुड़चना। दूध और अंडे के लिए तो कोई प्रावधान ही नहीं है। इससे बच्चों की कैलोरी तो पूरी हो रही है, लेकिन प्रोटीन आधा...
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