खेती की जब बात आती है, तो सभी आकाश की ओर ताकते हैं. अगर माॅनसून का समय और उसकी मात्रा उचित या पर्याप्त नहीं है, तो राजनीति की गति और दिशा दोनों बदल जाती है. बजट से लेकर बाजार तक सब आकाश ही निहारते हैं. कृषि में जोखिम प्रबंध बहुत ही कमजोर है. हरित क्रांति का चाहे जिस तरह से विश्लेषण या आलोचना करें, लेकिन उसने हमारी कृषि को तात्कालिक...
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भूखे बाघों से शांति की उम्मीद क्यों? - अनिल प्रकाश जोशी
आज हम 'विश्व बाघ दिवस" दिवस मना रहे हैं, जिसका मकसद जंगली बाघों के आवास के संरक्षण और विस्तार को बढ़ावा देने के साथ-साथ बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। अच्छी बात है कि बाघ-संरक्षण के प्रयासों का असर भी दिख रहा है। एक-दो माह पूर्व ही यह खबर आई थी कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में बाघों की संख्या 3200 से बढ़कर 3980 तक पहुंच चुकी है।...
More »तीन लाख हेक्टेयर फसल पर बारिश की मार
भोपाल। प्रदेश में करीब 10 दिनों में हुई तेज बारिश से जनजीवन के साथ ही फसलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। प्रारंभिक सर्वे में तीन लाख हेक्टेयर खरीफ फसल (सोयाबीन, उड़द, मूंग आदि) प्रभावित हुई है। वहीं, 27 जिलों में 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में बोई गई फसल खराब हो गई। यहां दोबारा बोवनी करनी होगी। अतिवर्षा से फसलों के नुकसान का सर्वे कृषि विभाग...
More »असम में बाढ़ से एक लाख लोग प्रभावित
गुवाहाटी। असम के सात जिलों में पिछले कुछ दिनों से एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि लखीमपुर, नगांव, गोलाघाट, मोरीगांव, विश्वनाथ, बारपेटा और जोरहट जिलों के 213 गांवों के कुल एक लाख 12 हजार 307 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है क्योंकि राज्य के मौसम विभाग ने असम...
More »सहेजना जरूरी है बरसात का पानी-- अतुल कनक
भारत कृषि प्रधान देश है। आज भी देश के किसानों का एक बड़ा वर्ग अपनी फसलों के लिए बादलों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखता है। मानसून का अच्छा या बुरा होना, हमारी फसलों की पैदावार के अच्छे या बुरे होने को तय करता है। लेकिन बदली जीवन शैली में जिन लोगों का कृषि संबंधी गतिविधियों से सीधा सरोकार नहीं है, मानसून उनसे भी अपने यथोचित स्वागत की अपेक्षा...
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