लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल कर नरेंद्र मोदी सरकार जब सत्ता में आई, तो लोगों को काफी उम्मीदें थीं। नरेंद्र मोदी ने लोगों से प्रभावी शासन का वायदा किया था, लेकिन सात महीने के शासन के बाद भी सरकार के कई मंत्रालयों की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। अगर सरकार के मिड ईयर इकोनोमिक एनलिसिस को देखें, तो पता चलता है कि कई...
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विकास का नया भारतीय मॉडल - वीएन कौल
इस बात का अपने आपमें एक प्रतीकात्मक महत्व था कि नीति आयोग 1 जनवरी 2015 को अस्तित्व में आया। यह नए साल में नई सरकार के नए दृष्टिकोण को दर्शाने वाला कदम था। नीति आयोग ने जिस योजना आयोग की जगह ली, उसका मूल विचार प्रो. मेघनाद साहा के दिमाग की उपज था, जिन्होंने वर्ष 1938 में समाजवादी शैली में संचालित होने वाली एक राष्ट्रीय योजना समिति की परिकल्पना की...
More »कठिन चुनौतियां और नीति आयोग- वाई के अलघ
अरविंद पनगढ़िया को उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने के साथ ही नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया) को लेकर जारी कई अटकलों को विराम मिल गया है, लेकिन इस आयोग को लेकर कई उत्सुकताएं अब भी लोगों के दिमाग में बनी हुई हैं। दरअसल, केंद्र में आई नई सरकार ने 24 अगस्त को 20 विशेषज्ञों को बुलाकर उनसे यह सवाल पूछा था कि मौजूदा योजना आयोग...
More »किसानों के हित में नहीं है नया भूमि अधिग्रहण कानून- सुभाष चंद्र कुशवाहा
जब खेती योग्य जमीनें कौड़ियों के भाव अधिगृहीत की जाने लगीं, तो वर्ष 2010 में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों ने ‘किसान संघर्ष समिति' के बैनर तले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीव्र विरोध किया। कई जगहों पर उग्र-हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसके चलते किसान-पुलिस टकराव के दौरान कई लोगों की जानें गईं। दरअसल भूमि अधिग्रहण कानून के बल पर किसानों की जमीनें सस्ते में खरीदकर उद्योगपतियों को दी जा रही थीं, जो...
More »किसानों के अच्छे दिन कब आएंगे- बाबा मायाराम
इन दिनों किसान अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद नहीं हो रही है, किसानों को बोनस नहीं मिल रहा है, तो दूसरी तरफ गेहूं की फसल के लिए खाद-बीज उपलब्ध नहीं हो रहा। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसान मंडी और सोसाइटियों के चक्कर काट रहे हैं। जगह-जगह धरना, प्रदर्शन और चक्का-जाम के रूप में उनका असंतोष सामने आ रहा...
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