बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...
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बिछड़े सब बारी-बारी, खेती-बारी-- अनिल रघुराज
आखिर कोई कितना इंतजार करता! देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन कृषि नहीं.' मगर, आजादी से लेकर कृषि को इंतजार करते-करते अब सात दशक होने जा रहे हैं. वह अब भी भगवान भरोसे है. इंद्रदेव नाराज, तो सूखे की त्रासदी और खुश तो बहुत बड़े इलाके में बाढ़ की तबाही. जिनके बरदाश्त करने की हद चुक जाती है, वे इस...
More »तुलसी की खेती शाजापुर जिले के किसानों को करेगी मालामाल
शाजापुर। ब्यूरो। जिले में इस बार सोयाबीन के साथ ही तुलसी फसल भी लहलहाएगी। इसकी खेती कर क्षेत्र के किसान मालामाल हो सकेंगे। दरअसल, उद्यानिकी विभाग द्वारा इस वर्ष चारों ब्लॉक में कुछ क्षेत्र में इसकी खेती कराई जाएगी। एक हेक्टेयर में ही किसान फसल उत्पादित कर लाख रूपए तक की कमाई कर सकेंगे। प्रचार-प्रसार के बावजूद अभी भी अधिकांश किसान फसल चक्र में परिवर्तन करने को राजी नहीं है। साल-दर-...
More »भीषण जल संकट से बैतूल में धारा 144 लागू
बैतूल (ब्यूरो)। माचना एनीकेट के सूखने के बाद धारा 144 के तहत निर्माण कार्यों पर लगी रोक बाद अभी तक जैसे-तैसे फिल्टर से हो रही जलापूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई। इसके साथ ही शहर के सभी वार्ड अब टैंकरों के भरोसे हो गए हैं। इधर नगर पालिका की समस्या यह है कि उसके पास ना तो पर्याप्त टैंकर हैं और ना ही पानी की ही समुचित व्यवस्था है।...
More »पानी नहीं तो मछली नहीं और बिन मछली मराठवाड़ा के लाखों मछुआरों का जीवन कैसे चले?- विनय सुल्तान
50 साल की गीता बाई और उनके परिवार की दिनचर्या में पिछले तीन साल के दौरान तेजी से बदलाव आया है. उनके लिए सही समय पर स्थानीय थोक मंडी में पहुंचना दिन की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. वे मुंबई, पुणे या पता नहीं कहां से आई हुई मछलियों को थोक में खरीद कर शाम को लगने वाली हाट में बेचती हैं. जब हर रेहड़ी के लिए माल का...
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