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डिफॉल्टरों से 55,000 करोड़ की वसूली की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने डिफॉल्टरों से 55,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली प्रक्रिया शुरू की है। यह कार्यवाही मुख्य रूप से धन जुटाने की अवैध स्कीमों पर अंकुश लगाने की उसकी मुहिम से जुड़ी है। अक्टूबर 2013 में जुर्माने और निवेशकों से धोखाधड़ी से जुटाए धन की वसूली को मिली शक्तियों के बाद सेबी ने करीब 900 वसूली प्रक्रियाएं शुरू की हैं। इनमें 200 से ज्यादा पूरी...

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भ्रष्टाचार के पैमाने पर सब समान-- राजदीप सरदेसाई

महाराष्ट्र और पूरे देश में सत्ता का रियल एस्टेट से विवादास्पद रिश्ता रहा है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण एक वाकया बताते हैं कि एक बार उन्होंने मुंबई में बहुमंजिला पार्किंग और अधिक प्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) संबंधी जमीन के नियम बदलने का प्रयास किया, उद्‌देश्य था अधिक पारदर्शिता लाना। जब प्रस्ताव रखा गया तो कैबिनेट की बैठक में चुप्पी छा गई। चव्हाण ने कहा, ‘कैबिनेट के मेरे कुछ...

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2020 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सरकार से 1.2 लाख करोड़ रुपए की जरूरत: मूडीज

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी बैलेंस शीट सुधारने और नुकसान की भरपाई करने के लिए 2020 तक सरकार से 1.2 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। यह बात शुक्रवार को मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कही। हालांकि यह सरकार की 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त पूंजी डालने की योजना के मुकाबले कहीं अधिक है। मूडीज ने कहा कि बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता अगले 12 महीने तक दबाव में रहेगी और...

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पानी नहीं तो मछली नहीं और बिन मछली मराठवाड़ा के लाखों मछुआरों का जीवन कैसे चले?- विनय सुल्तान

50 साल की गीता बाई और उनके परिवार की दिनचर्या में पिछले तीन साल के दौरान तेजी से बदलाव आया है. उनके लिए सही समय पर स्थानीय थोक मंडी में पहुंचना दिन की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. वे मुंबई, पुणे या पता नहीं कहां से आई हुई मछलियों को थोक में खरीद कर शाम को लगने वाली हाट में बेचती हैं. जब हर रेहड़ी के लिए माल का...

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बैंकरप्सी बिल : द इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड लोकसभा में पारित

किसी कारोबारी द्वारा बैंकों का कर्ज चुकता न किये जाने से न सिर्फ बैंकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के नुकसान की भरपाई अंततः सरकारी खजाने से करनी पड़ती है. यह खजाना देश की सामूहिक आय, नागरिकों द्वारा दिये गये कर और बचत की राशि से बनता है.  इसका मतलब यह है कि...

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