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जलवायु परिवर्तन से जंग की आड़ में वैश्विक व्यापार में असमानता को बढ़ा रहे विकसित देश: सीएसई

डाउन टू अर्थ, 2 मार्च जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई की आड़ में अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्तियां मुक्त व्यापार का दामन छोड़ रही हैं। बड़े पैमाने पर सब्सिडी और टैरिफ के साथ यह देश संरक्षणवाद की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन क्या जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी जंग और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को इससे फायदा होगा। इस बारे में नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर...

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ग्रेट बैकयार्ड पक्षियों के सर्वे में पाई गई 1,067 प्रजातियां: रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ, 01 मार्च अखिल भारतीय सर्वेक्षण, द ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट (जीबीबीसी) के दौरान 1,067 पक्षियों की प्रजातियों को देखा गया। यह एक सालभर में किया जाने वाला कार्यक्रम है, जो हर फरवरी में 4 दिनों तक चलता है। जिसमें पक्षियों की गिनती करने और पक्षी संरक्षण में योगदान करने के लिए सभी स्तरों के पक्षी प्रेमियों को शामिल किया जाता है। यह सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को...

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भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है लैंटाना

डाउन टू अर्थ, 26 फरवरी यह किसी भी प्रजाति के लिए आसान नहीं है कि वह उन मूल प्रजातियों से बेहतर प्रदर्शन करे जो पहले से ही स्थानीय परिवेश के अनुकूल हों। लेकिन, सजावटी झाड़ी लैंटाना (लैंटाना कैमारा) ने आक्रामक फैलाव की कला में महारत हासिल कर ली है और अपने कौशल को लगातार निखार भी रही है। लैंटाना पहली बार 1800 के दशक की शुरुआत में लैटिन अमेरिका से भारत आई...

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दिल्ली दंगे: गृह मंत्रालय द्वारा अतिरिक्त बलों की तैनाती में देरी से हिंसा और भड़की- रिपोर्ट

द वायर, 26 फरवरी पूर्वोत्तर दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता में गठित एक फैक्ट फाइंडिंग समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ तौर पर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों की तैनाती में देरी की, जबकि सांप्रदायिक दंगे 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच बेरोकटोक जारी रहे. समिति...

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बिहार के 10 लाख लोगों को तबाही से बचाने के लिए जरूरी है, कोशी का समग्र विकास

जनचौक, 26 फरवरी\ कोशी नदी के दोनों तटबंधों के बीच निवास करने वाले करीब दस लाख लोगों की बदहाली के किस्से परत-दर-परत उजागर हुए। अवसर कोशी जन आयोग की रिपोर्ट को जारी करने के लिए हुए दो दिवसीय सम्मेलन का था। सम्मेलन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर के अलावा कई पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता व कोशी क्षेत्र के पीडित लोग शामिल हुए। सम्मेलन में कोशी क्षेत्र की समस्याओं को चिन्हित किया...

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