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कालेधन पर मोदी का बम-- अनुपम त्रिवेदी

कालेधन पर किये गये वादों को लेकर किरकिरी झेल रही मोदी सरकार ने 8-9 नवंबर की रात ऐसी ‘सर्जिकल स्ट्राइक' की, कि पूरा देश हतप्रभ रह गया. एक झटके में सरकार ने कालेधन, भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवाद को जबरदस्त चोट पहुंचायी. सरकार के इस कदम की हर ओर तारीफ हो रही है. हालांकि विरोध करनेवाले भी कम नहीं है. पर हतप्रभ सभी हैं. सोच रहे हैं कि सरकार...

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10 हजार किसानों की मदद कर रही है यह केमिकल इंजीनियर

मुंबई। कुछ अच्छा करने की चाह हो, तो रास्ते आपने आप बन जाते हैं। केमिकल इंजीनियर रीमा साठे ने महाराष्ट्र के किसानों की खराब हालत के बारे में एक लेख पढ़ा और कुछ करने की सोचा। इसके साथ ही उन्होंने 'हैप्पी रुट्स' नाम की एक स्टार्ट अप की शुरुआत की। यह फूड कंपनी स्वस्थ, प्राकृतिक और प्रिजर्वेटिव फ्री नाश्ता बनाती है। इसके लिए महाराष्ट्र में छोटे और आदिवासी किसानों से कच्चा...

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आइटी नौकरियां घटने का संकट-- आकार पटेल

अर्थव्यवस्था से जुड़ी कुछ चिंताजनक खबरें आ रही हैं, जिनकी चर्चा व्यापारिक अखबारों तक ही सीमित है. ये समाचार भारत के बड़ी सूचना तकनीक और सॉफ्टवेयर उद्योग की इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियों से संबंधित हैं. पिछले दो दशकों से तेजी से बढ़ रही इन संस्थाओं की वृद्धि धीमी पड़ गयी है. अब इन कंपनियों की वार्षिक बढ़ोतरी एकल अंकों में हो रही है और इसके लिए भी...

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सहायता योजनाओं की जानकारी से दूर छोट-मंझोले उद्योग - नई रिपोर्ट

‘मछरी जल बीच मरत पियासी' ! इस उलटबांसी का अर्थ समझना हो तो गरीबी और बेरोजगारी दूर करने के लिहाज से महत्वूर्ण माने जाने वाले सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्यमों की हालत पर गौर कीजिए!   हाल की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि छोटे, मंझोले और सूक्ष्म उद्यमों के विकास-विस्तार और सुधार के लिए सरकार ने 200 से ज्यादा सहायता योजनाएं चला रखी हैं लेकिन सूक्ष्म, छोटे, और मंझोले आकार के उद्यम (एमएसएमई) इनका...

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जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह

ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...

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