कोलकाता। पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले 80 फीसद मुस्लिम परिवार सिर्फ पांच हजार रुपए प्रतिमाह की मासिक आय पर अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं। यह आबादी गरीबी रेखा के नीचे खड़ी है। इनमें से भी करीब 38.3 फीसद सिर्फ 2500 रुपए प्रतिमाह ही कमा पाते हैं, जो पांच लोगों के एक परिवार के आधार पर गरीबी रेखा का आधा भर है। यह अध्ययन 325 गांवों और...
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ग्रामीण भारत को ‘मेगा पुश’- प्रमोद जोशी
मोदी सरकार ने चार राज्यों के चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक जरूरतों का पूरा करनेवाला बजट पेश किया है. इसमें सबसे ज्यादा जोर ग्रामीण क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों पर है. राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत रखने के बावजूद सोशल सेक्टर के लिए धनराशि का इंतजाम किया गया ोहै. अजा-जजा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम भी इसका संकेत देते हैं. बजट का संदेश है कि अमीर ज्यादा...
More »गांव से निकलेगा विकास का हाइवे
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिश की है. यह कोशिश सोमवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2016-17 के बजट में दिखती भी है. किसानों से जुड़ी अनेक योजनाओं के लिए सरकार ने अपनी झोली खोल दी है. किसानों का ऋण कम करने के लिए 15 हजार करोड़ का एक कोष बनाने की घोषण एक अच्छी पहल है. पिछले दो-तीन साल से कम...
More »पहली बार किसी सरकार ने गांव के किसानों पर पूरा ध्यान दिया है- लार्ड मेघनाद देसाई
यह आम बजट आम आदमी का बजट है. बहुत ही अच्छा बजट है. सरकार ने इस बजट में गांव में रहनेवाले आम आदमी को राहत पहुंचाने का काम किया है. अब तक होता यह रहा है कि फायदा तो आम आदमी को जरूर पहुंंचता था, लेकिन उसका ज्यादातर लाभ शहरी आम आदमी उठा ले जाते थे. लेकिन, इस बार सरकार ने इस पर खास ध्यान रखा है. सरकार ने कृषि...
More »युवा, लाभांश और देश का भविष्य- संदीप मानुधने
देश में कहीं भी जाइये, चारों ओर अगर चुनौतियों के अलावा कोई और चीज साफ नजर आयेगी, तो वह है युवा! हर युवा की आंखों में एक चमक है- कोई अपना स्टार्टअप करके देश बदलने का स्वप्न देख रहा है (आखिर इस साल की ताजतरीन मिठाई जो ठहरी!), कोई विदेश जाने का (इतनी अच्छी लाइफ यहां कैसे मिलेगी!), तो कोई आइएएस बन कर प्रशासनिक क्रांति लाने का सपना देख रहा...
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