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पर्यावरण संरक्षण की मुश्किलें-- पंकज चतुर्वेदी

जिस तरह देश की आबादी बढ़ रही है, हरियाली और खेत कम हो रहे हैं, जल-स्रोतों का रीतापन बढ़ रहा है, हम हर दिन वनस्पति और जंतुओं की किसी न किसी प्रजाति को सदा के लिए खो रहे हैं, खेत और घर में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, भीषण गरमी से जूझने में वातानुकूलित यंत्र और अन्य भौतिक सुखों की पूर्ति के लिए बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा...

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बाघ तो बच रहे हैं...पर बेटियां!! - मृणाल पांडे

खबर है कि गए सालों में हमारे देश में बाघों की तादाद बढ़ी है, लेकिन खबर यह भी है कि इस दौरान 0 से 6 साल की उम्र की बच्चियों की तादाद तेजी से घटी है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है और आरक्षित श्रेणी में आता है। पर उसकी खाल, हड्डी, दिल, गुर्दा सबको एशियाई बाजारों में भारी मुनाफे पर बेचा जा सकता है इसलिए पिछले सालों में लालची तस्करों...

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रसायनों से जहरीली होती जमीन -- पंकज चतुर्वेदी

हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कीटनाशक की चपेट में आकर अठारह किसानों और खेत में काम कर रहे मजदूरों की मौत हो गई है। बीते बीस दिनों के दौरान कोई पांच सौ किसान और श्रमिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं। असल में, इस इलाके में कपास की खेती होती है। इस बार कपास में गुलाबी कीड़े (पिंक बोलवर्म) आ गए हैं। मजबूरन किसानों ने प्रोफेनोफॉस जैसे जहरीले...

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पशुपालन से टूटता मोह--- रीता सिंह

यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...

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झाबुआ में 17 महीने की बच्ची का वजन 4.5 किलो, होना चाहिए 11 किलो

अहद खान, झाबुआ। ग्राम खेड़ा की 17 महीने की वर्षा को भर्ती जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। उसका वजन सिर्फ साढ़े 4 किलोग्राम है। वो अति कुपोषित बच्चों की श्रेणी में है। सामान्यत: इस उम्र में बच्चे का वजन 11 किलोग्राम से ज्यादा होना चाहिए।   आश्चर्य की बात ये है कि इस उम्र तक आने तक महिला एवं बाल विकास विभाग के मैदानी अमले की नजर उस पर नहीं पड़ी।...

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