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यूपी में पटरी दुकानदारों को मिलने वाले कर्ज पर संशय

-इंडिया टूडे, लॉकडाउन के कारण रोज कमाकर खानेवाले पटरी दुकानदारों की आर्थिक हालत बहुत खराब है. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने राहत पैकेज में पटरी दुकानदारों को दस-दस हजार रुपए की पूंजी रोजगार के लिए उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है. लेकिन इस कर्ज के प्रावधानों को लेकर संशय बना हुआ है. केंद्र सरकार से घोषित पैकेज का पटरी दुकानदारों को लाभ दिलाने के लिए प्रदेश सरकार अपनी कार्ययोजना तैयार कर...

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राजस्थान और उत्तर प्रदेश में नुकसान पहुंचा चुकी टिड्डियों से उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में अलर्ट

-आउटलुक, कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण किसानों को टमाटर, प्याज के साथ ही अन्य फसलें चना, सरसों आदि औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, वहीं अब रही सही कसर टिड्डियों ने पूरी कर दी है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में हजारों हेक्टेयर में नुकसान पहुंचा चुकी टिड्डियों से अब उत्तर प्रदेश के दस जिलों में खतरा मंडरा रहा...

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मजदूर, प्लंबर और ब्यूटीशियन: कोरोना के बाद गांव लौटे प्रवासियों को रोजगार देने के लिए यूपी में महाभियान

-गांव कनेक्शन, सिर्फ़ मज़दूर नहीं, 23 लाख लोग जिनमें प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, ब्यूटीशियन, जिम ट्रेनर, नर्स आदि शामिल हैं, पैदल, बसों में, ट्रेन में, ट्रकों के पीछे चढ़ कर महानगरों से उत्तर प्रदेश के अपने गांवों में वापस आ चुके हैं, और इस सवाल से जूझ रहे हैं- आगे क्या? लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांव-गांव जाकर लाखों लोगों की "स्किल मैपिंग" का देश में सबसे बड़ा महाभियान शुरू...

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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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मजदूरों की घर वापसी से बिहार में शुरू हो सकता है ज़मीन का ख़ूनी संघर्ष

-न्यूजलॉन्ड्री, जून 2019 की एक दोपहर बिहार के बांका जिले के चांदपुर गांव की रहने वाली 25 वर्षीय पूनम दिल्ली के प्रेस क्लब में अपनी दो साल की बेटी को लेकर खड़ी थीं. बेटी के शरीर पर कई दाग निकले हुए थे. उस दिन बंधुआ मजदूरों को छुड़ाने वाले एक स्वयंसेवी संगठन की प्रेस कांफ्रेंस थी. पूनम खुद एक बंधुआ मजदूर थी, लेकिन मजदूरों को वहां से निकालने में उनकी बड़ी...

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