जनसत्ता 20 दिसंबर, 2011: डरबन में जलवायु संकट पर अपने निश्चित समय से छत्तीस घंटे देर तक चली अंतरराष्ट्रीय शिखर वार्ता की सबसे खास बात यह थी कि किसी भी महत्त्वपूर्ण पहलू पर समझौता हुए बिना इसके परिणाम को एक बड़ी कामयाबी की तरह पेश किया गया। बकौल आयोजक और विकसित देश, समझौता अत्यधिक सफल रहा। मंत्री मशाबेन, जो कि वार्ता की अध्यक्ष थीं, ने पिछली अध्यक्ष मैक्सिको की पैट्रीशिया...
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कम उम्र-कुंवारी कुड़ियां, काम ऐसा कि सुन आप भी रह जाएंगे दंग : हेमंत भट्ट
आणंद (गुजरात).गुजरात के एक ग्राम पंचायत की कमान अब गांव की बेटियां संभालेंगी। अविवाहित बेटियों को पंचायत सौंपने का यह ऐतिहासिक फैसला मध्य गुजरात के सिस्वा गांव ने लिया है। गांव की आबादी सात हजार है। सर्वसम्मति से लिए गए फैसले के मुताबिक गांव की सरपंच से लेकर सभी पदाधिकारी लड़कियां ही होंगी। सरपंच व अन्य पदों के लिए चुनी गईं लड़कियों ने मंगलवार को यहां नामांकन दाखिल कर दिया। शेष दो लड़कियां बुधवार को उम्मीदवारी दाखिल करेंगी।...
More »यूपी में 'मनरेगा' हाथी खा जाता हैः राहुल गांधी
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की राशि में खुली लूट का आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में केंद्र से आया पैसा जनता तक नहीं पहुंच रहा है। गांधी ने गांधी मैदान में कहा कि राज्य में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा सरकार मनरेगा पैसे को पार्क और स्मारक बनाने में खर्च कर रही है। मायावती ने पार्कों में अपनी पार्टी के चुनाव...
More »ग्रामीण कार्यक्रमों की जांच करेगी सीएजी
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (एजेंसी) सरकार ने मंगलवार को कहा कि मनरेगा सहित 88,000 करोड़ रुपए के सभी ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) से जांच कराई जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मोहन सिंह के पूरक सवाल के जवाब में कहा, यह आॅडिट 12 राज्यों में होगा और कुछ राज्यों में विशेष महालेखा परीक्षक की नियुक्ति की जाएगी। मोहन सिंह ने जानना चाहा था कि क्या...
More »प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी
अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...
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