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राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी

सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...

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सावधान! आपकी थाली में सब्जी नहीं 'जहर' हैं!- मुकेश कुमार

लखनऊ। बेमौसम हरी-भरी सब्जियों के देख कर मन प्रसन्न हो जाता है। बैंगनी बैंगन और हरे मटर को देख जी ललचा उठता है। पर क्या हमने कभी सोचा है कि प्रकृति के विरुद्ध जाकर हम जो काम करते हैं, उसका साइड इफेक्ट क्या होता है? नहीं हमारे पास इतनी फुर्सत कहां जो अपने हेल्थ के बारे में सोच सकें। पर नहीं जनाब इस घटना और जानकारी के जानने के बाद आप...

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मुख्यमंत्री के पिता ने ठोका दावा-‘बासमती चावल हमारा’- कौशल किशोर चतुर्वेदी

भोपाल. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिता प्रेम सिंह प्रदेश के पहले किसान बन गए हैं, जिन्होंने बासमती चावल को प्रदेश की विरासत बनाने के लिए प्रयास शुरू किया है। उन्होंने कृषि विभाग को यह हलफनामा दिया है कि जैत के उनके खेतों में पिछले सात दशक से बासमती चावल की खेती हो रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार का कृषि विभाग इन दिनों बासमती उत्पादन क्षेत्र के अंतर्गत मध्यप्रदेश...

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किसानों ने लिया 143 करोड़ का ऋण

रायपुर। छत्तीसगढ़ में चालू रबी मौसम में किसानों को खेती के लिए 143 करोड़ रूपए से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि चालू रबी मौसम में छत्तीसगढ़ के किसानों को अब तक खेती के लिए 143 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण उपलब्ध कराया जा चुका है। राज्य शासन की नीति के तहत किसानों को खरीफ फसलों की तरह रबी फसलों की...

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किसान ही बना सकता है ‘उत्तम प्रदेश’

इलाहाबाद में दो सप्ताह से तनाव है, यहां किसान आंदोलनरत हैं। वे नहीं चाहते कि उनकी खेती की जमीन औने-पौने दाम में लेकर उस पर ‘विकास’ किया जाए। ऐसी ही स्थिति बीते दो सालों के दौरान दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा आदि में देखने को मिली है। विकास के नाम पर खेत उजाड़ने पर किसान सड़कों पर उतरता है। देश के सबसे विस्तृत राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक केनवस...

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