मित्रो, आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...
More »SEARCH RESULT
महिला जनप्रतिनिधि भी आरटीआइ लगाने में आगे
पंचायती राज में 50 फीसदी महिलाओं के आने से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि अगर परिवार का हस्तक्षेप न हो और व्यवस्था सहयोग करे, तो अधिसंख्य महिला जनप्रतिनिधि हमेशा भ्रष्टाचारमुक्त समाज के साथ पंचायत में समेकित विकास की बात सोचती हैं. प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील तक महिला जनप्रतिनिधियों की पहुंच कम शाहिना परवीन बताती हैं, इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण हैं. अव्वल तो यह की आज भी सूचना का...
More »मरती भाषाओं के दौर में- शेखर पाठक
जनसत्ता 13 सितंबर, 2013 : कभी रघुवीर सहाय ने कहा था, ‘न सही कविता मेरे हाथ की छटपटाहट सही’। यही बात भाषा के बारे में कही जा सकती है। सिर्फ मनुष्य अपनी छटपटाहट को भाषा यानी शब्द दे सका है। यह कहानी सत्तर हजार साल पहले शुरू होती है, हालांकि लिपियों का संसार करीब पांच हजार साल पहले बनना शुरू हुआ। आज भाषा मानव अस्तित्व की अनिवार्यता और पहचान हो...
More »झारखंड नहीं, केंद्र का बीपीएल मंत्री हूं : जयराम
रांची: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि वह केंद्र सरकार के बीपीएल मंत्री है, झारखंड के मंत्री नहीं. उनके पास इतने पैसे नहीं है कि नेत्रदान के लिए फॉर्म का 200 रुपये अदा कर सकें. श्री रमेश गुरुवार को कश्यप मेमोरियल आई बैंक द्वारा आयोजित रन फॉर विजन कार्यक्रम में बोल रहे थे. श्री रमेश ने कहा कि अगर मैं झारखंड का मंत्री होता तो बात कुछ और...
More »देश के 20% घरों में अनाज का दाना नहीं : प्रो द्रेज
पटना: अर्थशास्त्री व सामाजिक कार्यकर्ता प्रो ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार भूख व मिस गवर्नेस की राजधानी है. यहां भूख व असुरक्षा की स्थिति सबसे अधिक है. छत्तीसगढ़ व ओड़िशा की स्थिति इतनी बुरी नहीं है. पेंशन योजनाओं के मामले में भी बिहार की हालत दयनीय है. ऐसी स्थिति में खाद्य सुरक्षा अधिनियम से बिहार को बड़ा अवसर मिला है. अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान में ‘फूड सिक्युरिटी बिल एंड...
More »