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रोजगार सृजन की चुनौती--- अरविन्द जयतिलक

देश की अर्थव्यवस्था भले ही कई देशों के मुकाबले दोगुनी वृद्धि कर रही हो लेकिन युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने के मामले में देश पिछड़ रहा है। हाल ही में आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन की ताजा रिपोर्ट ने बताया है कि देश में पंद्रह से उनतीस वर्ष के तीस प्रतिशत से अधिक युवाओं के पास रोजगार नहीं है। पिछले वर्ष श्रम मंत्रालय की इकाई श्रम ब्यूरो के रिपोर्ट...

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संरक्षण विकास की गारंटी नहीं है-- आर सुकुमार

आजकल भारतीय मीडिया और सरकारी हलकों में एक समूह-गान चल रहा है कि भारतीय ऑनलाइन कंपनियों को उबर और अमेजन जैसी अमेरिकी कंपनियों से बचाने की जरूरत है। इन दिनों राष्ट्रवाद एक ऐसा जरिया बन गया है, जिसके सहारे आप किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच सकते हैं, लेकिन नई दिल्ली में बैठे नीति-नियंताओं ने दूरदर्शिता दिखाते हुए फिलहाल ऐसे किसी तर्क-वितर्क में उलझने से अपने को दूर रखा...

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कम ब्याज दर के बावजूद कंपनियों को नहीं मिल पा रहा सस्ता कर्ज

नई दिल्ली। बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में कमी आने के बावजूद उद्योग अभी भी सस्ते कर्ज से महरूम हैं। कंपनियों का मानना है कि वे कर्ज की निचली दरों का फायदा उठाने की स्थिति में अभी नहीं हैं। हालांकि कर्ज की लागत को परेशानी बताने वाली कंपनियों की संख्या पिछले साल के मुकाबले इस साल घटी है।   फिक्की के नवीनतम बिजनेस कॉन्फिडेंस सर्वे के नतीजों से संकेत मिलता...

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अप्रत्यक्ष कर में सुधार से लाभ-- भूपेन्द्र यादव

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुप्रतीक्षित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को संसद से पारित कराने में ऐतिहासिक सफलता पायी है. इस सफलता की बदौलत अब अप्रत्यक्ष करों के मामले में देश में 'एक राष्ट्र एक कर' की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जाना संभव हो सका है. अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार के लिहाज से यह सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. रोजगार...

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सिर्फ विलाप से नहीं बचेगी धरती-- सुनीता नारायण

अर्थव्यवस्था, राजनीति और प्रकृति के नजरिये से पिछला साल काफी उथल-पुथल वाला वर्ष रहा। ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकला, डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुने गए और अनियमित मौसम व असमय बारिश से पूरी दुनिया हलकान रही; गरीबों के घर और खेत तबाह हुए। ये तमाम चीजें अब बीते दिनों की बातें भले लगती हों, लेकिन जिस तरह से हमारे लक्ष्य बदल रहे हैं, भविष्य इससे भी बुरा...

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