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प्लास्टिक से ढकी झोपड़ी में पढ़ रहा देश का भविष्य, ऐसे आगे बढ़ेगा इंडिया !

कोतबा। प्रशासनिक उदासीनता और शिक्षा विभाग द्वारा ध्यान न देने के कारण लंबे समय से ग्राम पंचायत कुकरगांव के ढोढ़ीडीह में संचालित प्राथमिक शाला के बच्चे प्लास्टिक से ढके झोपड़ी में रहकर अध्यापन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से यहां भवन निर्माण किया गया है लेकिन दो कमरे के भवन होने के कारण सभी बच्चे उक्त भवन में रहकर पढाई नहीं कर सकते। ग्राम कुकरगांव की यह तस्वीर जिले में...

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ग्राम सभा में उपस्थित नहीं हुए तो ग्रामीण को मृत घोषित कर दिया

कोतबा/जशपुर। पंचायत के द्वारा ग्राम सभा में उपस्थित नहीं होने पर ग्रामीण को पंचायत ने मृत घोषित कर उसे शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया है। सरपंच का कहना है कि ग्राम सभा में उपस्थित न होने के कारण उसे मृत घोषित किया गया।   पत्थलगांव विकासखंड के पंचायत मयूरनाचा अंतर्गत ग्राम चौकीदारपारा निवासी नान साय और उसकी पत्नी बसंती उरांव को सिपर्ᆬ इसलिए पंचायत के दस्तावेजों में मृत घोषित...

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आधी आबादी के बिना कैसे पूरा हो विकास का सपना

गत महीने फेसबुक द्वारा किये एक सर्वे में यह बात सामने आयी कि भारत में हर पांच में से चार महिलाएं उद्यमी बनने की क्षमता रखती हैं, बशर्ते उनके सशक्तीकरण के प्रयास किये जायें. शोध के मुताबिक यदि अभी से शुरुआत की जाये, तो वर्तमान व्यवसाय और रोजगार के समस्त लक्ष्यों को सिर्फ 52 फीसदी महिलाओं के दम पर ही वर्ष 2021 तक ही पूरा किया जा सकता है. फिर...

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ग्रामीणों ने की शिकायत, कुछ के शौचालय चोरी, कुछ लापता

सागर। कागजों में शौचालय निर्माण के बाद इनके चोरी हो जाने का दिलचस्प मामला सामने आया है। अब तक जिला प्रशासन और जिला पंचायत में कागजों में शौचालय निर्माण की सैकड़ों शिकायतें जिला प्रशासन के पास आती रही हैं, लेकिन इस बार पुलिस के पास एक अजीब शिकायत आई है। कुछ ग्रामीणों ने थाने में आवेदन देकर गुहार लगाई है कि सरकारी कागजों के मुताबिक हमारे घरों में शौचालय बने हैं,...

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पंचायती राज से विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए-- नरेन्द्र सिंह तोमर

पंचायती राज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन का एक विशिष्ट स्वरूप है। हमारे यहां पंच-परमेश्वर की अवधारणा रही है और हमारी संस्कृति में इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। औपनिवेशिक शासन ने हालांकि इस पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास की जमीन तैयार हुई। 24 अप्रैल को यह ऐतिहासिक संविधान संशोधन लागू हुआ...

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