रायपुर। छत्तीसगढ़ में निजी भूमि पर लगे पेड़ों को काटना अब आसान होगा। राज्य सरकार ने भू-राजस्व संहिता के तहत पेड़ों की कटाई के लिए प्रक्रिया तय कर दी है। पेड़ों की प्रजाति के हिसाब से तीन केटेगरी- हाईरिस्क, मीडियम रिस्क व लोरिस्क का निर्धारण किया गया है। ऑनलाइन आवेदन के 90 दिनों के भीतर अनुमति की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। अनुमति के बाद भूमि स्वामी को पेड़ काटने से...
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पानी नहीं तो मछली नहीं और बिन मछली मराठवाड़ा के लाखों मछुआरों का जीवन कैसे चले?- विनय सुल्तान
50 साल की गीता बाई और उनके परिवार की दिनचर्या में पिछले तीन साल के दौरान तेजी से बदलाव आया है. उनके लिए सही समय पर स्थानीय थोक मंडी में पहुंचना दिन की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. वे मुंबई, पुणे या पता नहीं कहां से आई हुई मछलियों को थोक में खरीद कर शाम को लगने वाली हाट में बेचती हैं. जब हर रेहड़ी के लिए माल का...
More »देश में शौचालय बहुत, मगर इस्तेमाल करने के लिए पानी नहीं
केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश भर में अक्टूबर 2014 से 9,093 करोड़ रुपए खर्च कर एक करोड़ 80 लाख्ा शौचालय बनवाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान को प्राथमिकता के तहत चलाने को कहा था, लेकिन नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों (NSSO) ने अभियान की सफलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद से शौचालयों का कितना उपयोग बढ़ा है,...
More »पानी के लिए पसीना बहा रहे आदिवासी...
खंडवा। भीषण जलसंकट से जूझ रहे लोगों को अपने हिस्से का पानी सहेजने की प्रेरणा नईदुनिया अभियान से मिल रही है। इसी कड़ी में खालवा क्षेत्र के दूरस्थ ग्राम बूटी में आदिवासी तालाब गहरीकरण के लिए श्रमदान में जुटे हैं। स्पंदन समाजसेवा समिति के सीमा प्रकाश ने बताया कि ग्राम बूटी पंचायत धामा का दूरस्थ ग्राम है। यहां 162 घर हैं। आबादी 553 है। इसमें 113 घर कोरकू जनजाति के...
More »सूखे की मार, हम जिम्मेवार--- भरत झुनझुनवाला
देश के कई हिस्से सूखे की चपेट में हैं. भूमिगत जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. आलम यह है कि समर्थवान अंगूर व मिर्च की खेती कर रहे हैं, जबकि सामान्य किसान पीने के पानी को भी तरस रहे हैं. साठ के दशक में हरित क्रांति के साथ-साथ देश में ट्यूबवेल से सिंचाई का विस्तार हुआ. गंगा के मैदानी इलाके में पहले भूमिगत जल-स्तर बरसात में 5-6 फुट और...
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