म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों की दुर्दशा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चिंता जाहिर की जा रही है, लेकिन चिंता जताने वाले समस्या की जड़ को नहीं पहचान रहे हैं। उन्हें रोहिंग्या आतंकियों का जिहाद नहीं दिख रहा, जिन्होंने अपने हमलों को नई धार दी है। आम धारणा यह है कि हाल के वर्षों में सैन्य दमन के चलते रोहिंग्या अलगाववाद पनपा है, लेकिन तथ्य यह है कि म्यांमार...
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कभी करती थी मजदूरी, अब लखपति बन गई सतवंती
बालाघाट। कहते हैं जहां चाह है वहां राह है...कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बुदबुदा की एक महिला सतवंती ने। वह पहले मजदूरी करती थी लेकिन अब अपनी मेहनत से पूरे परिवार की तकदीर बदल दी। सतवंती ने रेशम की खेती शुरू कर दी है। जिस जमीन में वह सालभर मेहनत करके 30-35 हजार भी नहीं बचा पाती थी। अब सालाना 1 लाख रुपए मुनाफा कमा रही है। यह सब...
More »पहाड़ पर लौटी हरियाली-- बाबा मायाराम
मध्यप्रदेश का एक गांव है रूपापाड़ा। यहां पेड़ लगाने की चर्चा गांव-गांव फैल गई है। पहले यहां आसपास गांव के हैंडपंप सूख चुके थे लेकिन जंगल बड़ा हुआ, हरा भरा हुआ तो उनमें पानी आ गया। लोगों के पीने की पानी की समस्या हल हुई। यह झाबुआ जिले की पेटलावद विकासखंड में है। यहां के लोगों को खेती में पानी नहीं है, सूखे की खेती करते हैं,यानी वर्षा आधारित। लेकिन...
More »हिमालय नीति की जरूरत--- वीरेंद्र कुमार पैन्यूल
एक हिमालय नीति की जरूरत दशकों से महसूस की जा रही है। पूरे विश्व ने व संयुक्त राष्ट्र ने भी आधिकारिक रूप से यह माना है कि पहाड़ों के विकास की अलग रणनीति और तौर-तरीके होने चाहिए। पूर्व में अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष भी मनाया गया था। अमेरिका में तो पर्वतीय विकास पर काम करने के लिए अलग से एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। इसी क्रम में हिमालय के लिए एक अलग...
More »भारत में बाल-मजदूरों की तादाद 3 करोड़ से ज्यादा - सेव द चिल्ड्रेन की नई रिपोर्ट
क्या आप जानते हैं कि यंगिस्तान यानी नौजवानों का देश कहलावाने वाले भारत में बच्चों की दशा कैसी है ? नीचे लिखे तथ्यों को ध्यान से पढ़िए और खुद ही फैसला कीजिए. बच्चों में कुपोषण का एक पैमाना है स्टटिंग और भारत में स्टटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 4 करोड़ 80 लाख से अधिक है. यह दक्षिण अमेरिका के देश कोलंबिया की कुल आबादी(4 करोड़ 90 लाख) के बराबर है. लगभग इतनी ही...
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