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सोरेन सरकार को एक साल होने वाले हैं, पत्थलगड़ी से जुड़े केस का क्या हुआ?

-लल्लनटॉप, पिछले साल दिसंबर में जब झारखंड में सरकार बदली तो सीएम हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया. यह फैसला पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ा था. पहली कैबिनेट में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सभी केस वापस लेने का फैसला लिया गया. इस फैसले को एक साल होने वाले हैं लेकिन सरकार ने अब तक केस वापस लेने का अनुरोध कोर्ट को नहीं भेजा...

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सरकार को एहसास हो रहा है कि केन-बेतवा जोड़ना एक गलत कदम है, लेकिन अब पीछे नहीं हटा जा सकता

-द प्रिंट, पर्यावरण मंत्रालय के एक एक्सपर्ट ग्रुप ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले एक अहम बांध को पर्यावरणीय मंजूरी देने से मना कर दिया. यह बांध मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के डिंडौनी में बनाया जाना प्रस्तावित था. इस मनाही का तात्कालिक और तकनीकी कारण यह है कि पर्यावरणीय मंजूरी के लिए उपयोग किए जाने वाला डाटा डेढ़ साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए और इसलिए...

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लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं किसान, मोदी सरकार झुकेगी?

-सत्यहिंदी, कोरोना के आपातकाल में भी दिल्ली की सीमाओं पर यह जो हलचल हो रही है क्या वह कुछ अलग नहीं नज़र आ रही? हज़ारों लोग जिनमें बूढ़े और जवान, पुरुष और महिलाएँ सभी शामिल हैं, पुलिस की लाठियों, आँसू गैस के गोलों और ठंडे पानी की बौछारों को ललकारते और लांघते हुए पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से दिल्ली पहुँच रहे हैं। उस दिल्ली में जो मुल्क की राजधानी है, जहां जो...

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किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली में दूसरे राज्यों से आने वाले फल-सब्ज़ियों की आपूर्ति प्रभावित

-द वायर,  पिछले छह दिनों से दिल्ली के हरियाणा से लगे सिंघू और टिकरी बॉर्डर के पास किसानों के प्रदर्शन के कारण दूसरे राज्यों से दिल्ली में सब्जियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है और आजादपुर मंडी में भी इसकी आपूर्ति आधी रह गई है. दिल्ली के दूसरे हिस्सों के विक्रेताओं ने भी कहा कि आपूर्ति सीमित होने के कारण मौसमी सब्जियों की कीमत 50 रुपये से 100 रुपये तक...

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किसानों के विरोध को ना मैनेज कर पाना दिखता है कि मोदी-शाह की BJP को पंजाब को समझने की जरूरत है

-द प्रिंट, भाजपा को राजनीति की कितनी समझ है? अगर आप इस तरह का सवाल पूछने की कोशिश भी करेंगे तो लोग आपसे यही कहेंगे कि जाइए पहले अपने दिमाग का इलाज करवाइए. इसमें कोई शक नहीं कि राजनीति की उसकी समझ और किसी और की समझ में उतना ही अंतर है जितना लोकसभा की 303 और 52 सीटों में अंतर है. तब आप शायद सवाल को और बारीकी से उठाएंगे और...

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