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किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर, अफसरों के सामने ही फाड़कर जला दिए नोटिस

रेवाड़ी. जमीन अधिग्रहण के खिलाफ रेवाड़ी के पांच गांवों के लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। मंगलवार को आपत्ति सुनने के लिए हुडा कार्यालय में पहुंचे अधिकारियों को ग्रामीणों ने जमकर खरी-खोटी सुनाई। ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 9 के नोटिस फाडऩे के साथ आग के हवाले कर दिया।   सेक्टर 20 व 21 के लिए कालका, कोनसीवास, झांझनवास, पीवरा व मांढैया की लगभग 300 एकड़ जमीन...

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करांजी जलाशय परियोजना से पूरे होंगे सपने

बेड़ो : करांजी जलाशय परियोजना हजारों किसानों के घरों में खुशिया लाएगी और लोगों के सपने पूरे होंगे। ये बातें महत्वाकांक्षी व बहुप्रतीक्षित कराजी बाध व सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखते हुए जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कही। उन्होंने कहा कि यह योजना विधायक बंधु तिर्की के अथक प्रयासों का नतीजा है। विधायक बंधु तिर्की ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि करांजी बाध के निर्माण की माग 1986...

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मोदी सरकार मनरेगा में करेगी फेरबदल

नयी दिल्ली : नरेन्द्र मोदी सरकार संप्रग के प्रमुख कार्यक्रम मनरेगा को ग्रामीण इलाकों में विकास के साथ रोजगार से जोडकर इसमें फेरबदल करेगी और नये भूमि अधिग्रहण कानून को ‘‘कडाई से’’ लागू करेगी. ग्रामीण विकास मंत्री का आज प्रभार संभालने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि हाल में बनाये गये भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करना तथा प्रत्येक घर को साफ सफाई एवं पेयजल मुहैया कराने...

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'पहले शौचालय फिर देवालय' नारे पर अमल कराएंगे मुंडे

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गांव की पंचायत से देश की सबसे बड़ी पंचायत (संसद) में पहुंचकर गांवों की सेवा का जो दायित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौंपा है, उसे पूरी शिद्दत से पूरा करूंगा। मोदी सरकार के नवनियुक्त ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे ने यह बात कही। उनका जोर मोदी के 'पहले शौचालय फिर देवालय' के नारे को लागू करने पर होगा। मुंडे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी...

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खेती-किसानी के मुद्दे गायब हैं चुनाव से- महक सिंह

चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और व्यक्तिवाद की बातें की जा रही हैं, पर गांव, खेती और 54 प्रतिशत जनता के मुद्दे गौण हैं। कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पूंजी निर्माण और कृषि निर्यात लगातार घटते जा रहे हैं। 1950-51 में जीडीपी में कृषि की भागीदारी 53.1 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई। गांव-शहर तथा किसान-गैर किसान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।...

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