रायपुर। राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र किसी विषय को सुनने, पढ़ने और लिखने में राष्ट्रीय औसत (एनए) से 13 अंक नीचे हैं। यह रिपोर्ट नेशनल अचीवमेंट सर्वे की है। इसके अनुसार राज्य के 53 फीसदी छात्र कक्षा में पढ़ाई के दौरान ध्यान से शिक्षक की बातों को सुनते हैं, जो कि एनए से 12 फीसदी कम है। वहीं पुस्तक में लिखे शब्दों को 80 फीसदी छात्र समझ...
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इसलिए गायब हैं बेटियां!--- नासिरुद्दीन
क्या बिहार के लोग भ्रूण का लिंग नहीं पता करवाते हैं? क्या यहां भ्रूण के लिंग की जांच नहीं होती है? क्या इस राज्य में लिंग जांच कर गर्भ का समापन नहीं होता या करवाया जाता है? क्या यहां का लिंग अनुपात गड़बड़ नहीं है? बिहार के कई इलाकों में जब इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश होती है, तो आमतौर पर जवाब मिलता है- यहां ये सब नहीं...
More »आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी
वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...
More »शिक्षा के अवसर और दिव्यांग जन -- क्या कहती है 2011 की जनगणना
आम आबादी की तुलना में दिव्यांग व्यक्तियों को शिक्षा के अवसर कम हासिल हैं. इस बात के संकेत 2011 की जनगणना के आंकड़ों से मिलते हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में समझ के साथ लिख और पढ़ पा सकने वाले दिव्यांग लोगों की तादाद केवल 54.7 फीसद है. (इससे सबंधित सारणी के लिए यहां क्लिक करें). 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में दिव्यांग लोगों की तादाद 2.68 करोड़ है. इनमें 1.22...
More »शहरीकरण से दूर होगी गरीबी?-- अनुपम त्रिवेदी
पिछले महीने पुणे में स्मार्ट सिटी परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण को समस्या नहीं, बल्कि गरीबी दूर करने का एक अवसर माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी में गरीबी कम करने की क्षमता है, तो वह हमारे शहर हैं, क्योंकि वहां काम के अवसर हैं. यही वजह है कि गरीब गांवों से निकल कर शहरों में जाते हैं. लेकिन, क्या यह सच...
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