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खदानों में काम करने वाले श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य की बात

इस साल (31 अगस्त तक) देश के विभिन्न कोयला खदानों में लगभग 24 जानलेवा दुर्घटनाएँ और 47 गंभीर दुर्घटनाएँ हुई हैं. इसी तरह, 18 जानलेवा दुर्घटनाएँ और 13 गंभीर दुर्घटनाएँ गैर-कोयला खदानों में इस समय अवधि में हुई हैं. कोविड-19 के चलते आई आर्थिक मंदी के कारण इन खदानों में कम मांग और उत्पादन की आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दुर्घटना के आंकड़े...

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नये श्रम कानूनों का मक़सद अगर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग को ही सुधारना है तो ये कमाल के हैं

-सत्याग्रह, संसद में 23 सितंबर को श्रम कानून से जुड़े तीन अहम कोड बिल पास हो गए. सरकार ने बीते साल श्रम सुधार की बात कहते हुए 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को मिलाकर चार कोड बिल तैयार किये थे. इनमें से तीन कोड बिल - औद्योगिक संबंध कोड बिल, सामाजिक सुरक्षा कोड बिल और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा कोड बिल - पिछले महीने के अंत में पास हुए. चौथे कोड...

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अर्थात‍ः राहत ऐसी होती है !

-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सि‍तंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रि‍टेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई.  बहुत नुक्सान...

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गुजरात मॉडल को भूल जाइए, भविष्य यूपी मॉडल का है

-द वायर, मानो उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित किशोरी के साथ बलात्कार और प्रताड़ना कम डरावनी थी, पुलिस ने शव को घर ले जाने देने की अपील को खारिज करते हुए रातोंरात सबसे छिपकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. बलात्कार का आरोप ठाकुर जाति के चार पुरुषों पर है. यह पूरा वाकया अगड़ी जाति के अहंकार और पुलिस की हृदयहीनता को दिखाता है. भारत में पुलिस दुर्भावना से भरी हुई और...

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बाबरी मस्जिद विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस लिब्रहान को जो दिखा वो सीबीआई कोर्ट न देख पाई?

-बीबीसी, छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कुछ अराजक तत्वों के अचानक हमले का नतीजा था या सुनियोजित और संगठित प्रयास का परिणाम? इतिहास में यह सवाल हमेशा पूछा जाएगा. वेदों में कहा गया है कि सत्य का मुख सोने के पात्र से ढका हुआ होता है. सत्य की खोज श्रमसाध्य और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. सत्य अलग-अलग कोण से अलग दिखता है और देखने वाले की नज़र से...

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