-द वायर, गुजरात के अमरेली कस्बे के दो श्मशान घाटों में से एक कैलाश मुक्ति धाम में चार भट्टियां ख़राब होने की अलग-अलग स्थिति में हैं. शवों को रखने वाली लोहे की ग्रिल बिना रुके जलती हुई चिताओं के चलते पिघल चुकी है. किसान मगनभाई श्मशान घाट पर काम करने वाले एक वालंटियर हैं, जो अप्रैल और मई 2021 के उन दिनों, जब कोविड-19 ने शहर को तबाह कर दिया था, को...
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मोदी सरकार के अधीन कोयले की नीलामियां: छत्तीसगढ़ को सालाना 900 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा
-न्यूजलॉन्ड्री, केंद्र सरकार ने छत्तीसगड़ में 2015 में दो कोयला ब्लॉकों की नीलामी की. इनमें एक ब्लॉक गारे पाल्मा IV/1 की 1,585 रुपये प्रति टन की बोली लगी जबकि दूसरे गारे पाल्मा IV/7 को 2,619 रुपये में नीलाम किया गया. हालांकि यह कीमतें कम थीं. इस नीलामी पर आरोप लगने के बाद सरकार ने इस अनुबंध को रद्द कर दिया. यह आरोप कार्टेलाइजेशन द्वारा लगाए गए. इसके बाद सरकार ने फिर से...
More »6 साल में 15 करोड़ विमुक्त घुमंतू आबादी को मिला पीएम मोदी की एक विदेश यात्रा के खर्च से भी कम बजट!
-गांव सवेरा, 2019-20 में सामाजिक न्याय मंत्रालय के 8 हजार 885 करोड़ के बजट में से विमुक्त घुमंतू जनजातियों के हिस्से केवल 10 करोड़ तो वहीं 2020-21 में मंत्रालय के 10 हजार 103 करोड़ के बजट में से डीएनटी को केवल 11.24 करोड़ का बजट दिया गया. देश में विमुक्त घुमंतू एवम अर्धघुमंतू जनजातियों की आबादी 15 करोड़ के आस-पास है. विकास के दृष्टिकोण से विमुक्त घुमंतू और अर्धघुमंतू जनजातियां देश का...
More »विकास की धीमी रफ़्तार और बढ़ता नौकरियों का संकट
-द वायर, भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन (एनएसओ) ने 2017-18 में वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण करना शुरू किया, जो अब तक केवल हर पांच वर्षों पर होता था. एनएसओ ने अभी अपना तीसरा वार्षिक सर्वेक्षण (2019-20) जारी किया, जो 30 जून 2020 तक की अवधि को कवर करता है. 2017-18 में एनएसओ ने बताया कि बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी और युवा बेरोजगारी...
More »भारत में बेतहाशा फैलती जा रही है ग़रीबी!
-न्यूजक्लिक, मीडिया के प्रचार के दम पर चल रही मोदी सरकार ने बड़े लंबे समय से गरीबी के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस पर मीडिया वाले कभी सवाल भी खड़ा नहीं करते हैं। अगर सवाल खड़ा करते तो जिस तरह से चौक चौराहों पर 135 करोड़ वाले देश में ओलंपिक में गिरकर 5 मेडल न मिल पाने पर चर्चा हो रही है ठीक उसी तरह गरीबी पर भी चर्चा होती।...
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