उत्तम मालवीय, बैतूल। खेत में निंदाई-गुढ़ाई करते और मवेशी चराते हुए बचपन बीता। बिजली नहीं होने पर दीपक के उजाले में पढ़ाई की। गांव में स्कूल नहीं था तो रोज कई किमी की दूरी स्कूल के लिए तय की। अब उसके सपने पूरे होने को हैं... वह इंग्लैंड से पीएचडी करेगी। संघर्ष और जिजीविषा की यह कहानी है जिले से करीब 100 किमी दूर स्थित भीमपुर ब्लॉक के छोटे से ग्राम...
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यहां गांव के बच्चे करते हैं अंग्रेजी में गिटपिट
नई दुनिया,जबलपुर। दूसरी क्लास में पढ़ने वाले अजय कोल की जिंदगी बदली-बदली सी है। मिट्टी में खेलते अस्त-व्यस्त से गांव के दूसरे छोटे बच्चों से वह कुछ अलग है। साफ-सुथरा। बातें भी समझदारी वाली। मजदूर माता-पिता का यह बेटा 'वाट इज योर नेम' जैसे अंग्रेजी के अन्य दूसरे सवालों के जवाब देना भी जानता है। कक्षा आठ में पढ़ रही नेहा गोंटिया ने भी अपने रहन-सहन का तरीका बदल लिया...
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नई दुनिया,जबलपुर। दूसरी क्लास में पढ़ने वाले अजय कोल की जिंदगी बदली-बदली सी है। मिट्टी में खेलते अस्त-व्यस्त से गांव के दूसरे छोटे बच्चों से वह कुछ अलग है। साफ-सुथरा। बातें भी समझदारी वाली। मजदूर माता-पिता का यह बेटा 'वाट इज योर नेम' जैसे अंग्रेजी के अन्य दूसरे सवालों के जवाब देना भी जानता है। कक्षा आठ में पढ़ रही नेहा गोंटिया ने भी अपने रहन-सहन का तरीका बदल लिया...
More »बाधा पर विजय
हर साल तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विकलांगता दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर कुछ ऐसे साहसी लोगों की कथा, जिन्होंने अपनी हिम्मत और हौसले से अपनी बाधाओं को ताकत में बदल दिया। हुमैरा अंसारी और अंतरा सेनगुप्ता की रिपोर्ट जनसंचार में स्नातकोत्तर की फाइनल परीक्षा से कुछ दिन पहले 2010 में 29 साल की निधि गोयल को कितना संघर्ष करना पड़ा था, वह इसे कभी नहीं भूल सकतीं। ये विजुअली...
More »बच्चों को स्कूल क्यों पसंद नहीं आता - पंकज चतुर्वेदी
वह बमुश्किल तीन साल की होगी, पापा की गोदी में जब कार से उतरी, तो चहक रही थी। जैसे ही बस्ता उसके कंधे पर गया, तो वह सुबकने लगी, रंग-बिरंगे पुते, दरवाजे तक पहुंची, तो दहाड़ें मारने लगी। वह स्कूल क्या है, खेल-घर है, वहां खिलौने हैं, झूले हैं, खरगोश और कबूतर हैं, कठपुतलियां हैं, फिर भी बच्ची वहां जाना नहीं चाहती। क्योंकि...
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