महाकवि कालिदास की एक प्रसिद्ध उक्ति ध्यान में आती रहती है कि संदेह के अवसरों पर अंत:करण की आवाज को प्रमाण मानना चाहिए। ठीक बात है। लेकिन आत्म-बोध, ज्ञान-बोध दोनों के बीच संदेह झूल रहा है। यह संदेह संस्कृति रूपी चित्त की खेती को बर्बाद करने का जाल बिछा रहा है। विश्वास का अंत कर रहा है और संशय का हुदहुद सभी को ढहाए दे रहा है। भारतीय जन-मानस की...
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विकास के मौजूदा मॉडल के विनाशकारी पहलू- सच्चिदानंद सिन्हा
आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
More »बदलते पर्यावरण की विनाशलीला - सुनीता नारायण
जम्मू-कश्मीर 60 साल की सबसे भयानक बाढ़ के अभिशाप को झेल रहा है। छह लाख लोग फंसे हुए हैं और 200 से ज्यादा के मरने की खबर है। इसके साथ ही धीरे-धीरे अब सबका ध्यान इस अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा के कारणों की तरफ जा रहा है। कहा जा रहा है कि बाढ़ के पानी ने अचानक ही इस राज्य को अपनी गिरफ्त में ले लिया। लेकिन यह कैसे हुआ? हर...
More »आज वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों की दरकार- अनिल प्रकाश जोशी
सर्वोच्च अदालत ने उत्तराखंड में विवादित पनबिजली योजनाओं को निरस्त कर राज्य सरकार और निजी कंपनियों को साफ और सख्त संकेत दिए हैं। अदालत ने अनियमितताओं को गंभीरता से लिया है और स्पष्ट किया है कि पर्यावरण के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इस कदम से भागीरथी और अलकनंदा नदी बेसिन वाली 24 परियोजनाओं पर रोक लग गई है। ऊर्जा आज की जरूरत है, इससे कोई इन्कार नहीं कर...
More »गंगा योजना के विरोधाभास- अनिल प्रकाश
जनसत्ता 19 जुलाई, 2014 : केंद्र की नई सरकार के तीन-तीन मंत्रालय गंगा नदी से जुड़ी समस्याओं पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी, राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व-काल में, गंगा सफाई योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा ऐक्शन प्लान बना। मनमोहन सिंह सरकार ने तो गंगा को राष्ट्रीय नदी ही घोषित कर दिया। मानो पहले यह राष्ट्रीय नदी न रही हो। अब तक लगभग बीस...
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