लखनऊ [अवनीश त्यागी]। भट्टा पारसौल कांड से सुलगे भूमि अधिग्रहण विवाद की आग सियासी झोंकों से फिर भड़काने की तैयारी है। विपक्षी दल बसपा सरकार की नई अधिग्रहण नीति का जवाब देने की तैयारी कर चुके हैं। भाजपा व कांग्रेस जमीनी जंग के मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं तो सपा राष्ट्रीय अधिवेशन में इसके खिलाफ रणनीति बनाएगी। बीते हफ्ते लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने पहली बार किसान...
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फिर सड़क पर आएगा ‘लोकपाल’, अड़ी सिविल सोसाइटी, सरकार तैयार नहीं
नई दिल्ली लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग कमेटी की सोमवार को हुई बैठक में तीखे मतभेद उभरे, जब सरकार ने प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और सांसदों के संसद में किए गए कार्यो को इसके दायरे में लाने का विरोध किया। इस पर सिविल सोसाइटी ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए समिति का बहिष्कार कर फिर से सड़क पर आने की चेतावनी दी है। अन्ना हजारे ने कहा है कि 30 जून के बाद ड्राफ्टिंग...
More »ग्रेनो: हाईकोर्ट ने किया जमीन अधिग्रहण रद्द, चंदौली में किसानों ने सजाईं चिताएं- विजय उपाध्याय
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महीने में लगातार अपने तीसरे आदेश में ग्रेटर नोएडा में तत्काल महत्व की औद्योगिक जरूरतों के नाम पर 170 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया है। इस बार दादरी तहसील के गुलिस्तापुर के 550 किसानों को राहत मिली है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी व न्यायमूर्ति केएन पांडेय की खंडपीठ ने 58 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 2007-08 में ग्रेटर नोएडा के...
More »बाबा के आंदोलन के मुद्दे- वेदप्रताप वैदिक
भ्रष्टाचार के विरुद्ध बाबा रामदेव जो मोर्चा लगा रहे हैं, वह एक बेमिसाल घटना होगी। यदि दिल्ली में एक लाख और देश में एक करोड़ से भी ज्यादा लोग अनशन पर बैठेंगे तो इसके मुकाबले की घटना हम कहां ढूंढेंगे? यह सबसे बड़ा अहिंसक सत्याग्रह होगा। इसका उद्देश्य जनता व शासन दोनों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध कटिबद्ध करना है। यदि आंदोलन सिर्फ सरकार के विरुद्ध होता तो उसे शुद्ध राजनीति माना जाता, लेकिन...
More »अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत
विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...
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