बीते महीने शिलांग में हुए सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि आरटीआई का कानून शासन में पारदर्शिता,जवाबदेही और जनता की भागीदारी की एक नई राह खोल रहा है। और अब ,नागरिक संगठनों द्वारा सरकारी लोकपाल बिल के विकल्प के रुप में जो मसौदा तैयार किया गया है उससे इस बात पर मुहर लग गई है। भ्रष्टाचार निरोधी जन लोकपाल बिल के नाम से...
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गतिरोध कायम, हजारे नहीं चाहते अध्यक्ष पद
नई दिल्ली। लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर संयुक्त समिति गठित करने की माग कर रहे भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच गुरुवार को दो दौर की वार्ता बेनतीजा रही। दोनों पक्षों के बीच जहा गतिरोध बरकरार है, वहीं आमरण अनशन पर बैठे अण्णा हजारे ने इस बात से इंकार किया है कि उन्हें संयुक्त समिति का अध्यक्ष पद चाहिए। गाधीवादी विचारक हजारे का आमरण अनशन आज तीसरे दिन...
More »राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी
सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...
More »पैसा बाद में आया, खर्च पहले कर दिया
नूना माजरा गांव में पूर्व सरपंच के कार्यकाल में हुए कार्यो में घोटाले की बू आ रही है। विभिन्न मदों और मुआवजे के तौर पर पैसा तो बाद में आया, लेकिन खर्च पहले ही हो गया। इससे साफ है कि रिकार्ड में कुछ है और धरातल पर कुछ। यह सब पंचायत चुनाव की आचार संहिता के समय हुआ। अब विभागीय अफसर भी इस मामले से कन्नी काट रहे है। ...
More »कैसे आए करोड़ों खर्च का नतीजा- प्रतीक्षा सक्सेना दत्ता
एक ओर बाढ़ और एक तरफ सूखा वाली बात हर किसी ने सुनी होगी। बर्बादी दोनों में ही तय है। कुछ ऐसी ही कार्यप्रणाली देखने को मिल रही है शासन की विभिन्न योजनाओं में जहां एक ओर तो रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगार रोजगार के लिए तरस रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों व दूसरे महकमों के कर्मचारियों को उनका मूल कार्य छुड़वाकर जनगणना या अन्य राष्ट्रहित कार्य...
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