दो सौ वर्षों से भी अधिक पहले फ्रांस की राष्ट्रीय असेंबली में सजा-ए-मौत के विरुद्ध दलीलें देते हुए फ्रांसीसी क्रांति की प्रमुख हस्तियों में एक रॉब्सपीयर ने कहा था: ‘न्याय और विवेक की आवाज सुनें! यह कहती है कि मानवीय विचार शक्ति कभी इतनी निश्चित नहीं हो सकती कि वह कुछ मानवीय प्राणियों द्वारा किसी अन्य मानवीय प्राणी के प्राण लेने का फैसला कर समाज को वैसा करने दे... आप...
More »SEARCH RESULT
स्वच्छ वातावरण का सपना--- विवेक कुमार बडोला
दुनिया में जैसे-जैसे पर्यावरण संकट बढ़ रहा है वैसे-वैसे पर्यावरण के प्रति गंभीर मानवीय चिंता और चिंतन का अभाव भी हो रहा है। सरकारी संस्थाएं और गैर-सरकारी संगठन आधिकारिक रूप से इस संबंध में भले समय-समय पर चिंता प्रकट कर रहे हैं, पर आम लोग अपने स्तर पर पर्यावरण सुरक्षा का उत्तरदायित्व लेने को अब भी तैयार नहीं। अभी कुछ दिन पहले न्यूजीलैंड और भारत स्थित न्यायालयों ने नदियों को जीवित...
More »पूर्ण साक्षरता का सपना -- रिजवान निजामुद्दीन अंसारी
कई देशों ने बीसवीं सदी में ही संपूर्ण साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया और अपने समाज में शिक्षा के औसत स्तर को भी ऊपर उठाया। लेकिन भारत अब भी पूर्ण साक्षर नहीं हो सका है। एक तरफ हम ज्ञान आधारित समाज और डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन इस कड़वी सच्चाई को नजरअंदाज कर जाते हैं कि साक्षरता और शिक्षा के लिहाज से हमारे समाज की तस्वीर कैसी...
More »पानीदार टेढ़ा पद्धति-- बाबा मायाराम
मौसम बदलाव के इस दौर में पानी का संकट एक बड़ी समस्या है, ऐसे में मुझे याद आती है छत्तीसगढ़ की टेड़ा पद्धति, जिसमें न केवल जरूरत के मुताबिक पानी निकाला जाता है, बल्कि इसमें पानी की आपूर्ति सतत् बनी रहती है, यह श्रम आधारित पद्धति है और किफायत से पानी खर्चने पर टिकी है. छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले का एक है गांव चराईखेड़ा। वह उरांव आदिवासियों का गांव है। उनकी...
More »जल्द मिले सस्ती औषधि की सौगात - डॉ एके अरुण
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि ऐसा कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा जिसके तहत चिकित्सकों को उपचार के लिए महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं (जो मूल दवा है और सस्ती होती है) ही लिखनी होंगी। उल्लेखनीय है कि बेहद महंगी दरों पर मिलने वाली ब्रांडेड दवाएं मरीजों और उनके तीमारदारों की जेब पर इतनी भारी पड़ती हैं कि अधिकांश तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं...
More »