यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...
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गैस सबसिडी के बगैर-- पीयूष द्ववेदी
लोकसभा में रसोई गैस कनेक्शनों की अनियमितताओं से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि बीते एक जून से सरकार रसोई गैस सिलेंडरों की कीमतों में प्रतिमाह चार रुपए की बढ़ोतरी का आदेश तेल कंपनियों को दे चुकी है। इस आदेश के पीछे सरकार की योजना 31 मार्च, 2018 तक रसोई गैस सिलेंडरों से सबसिडी को पूरी तरह से खत्म कर देने की...
More »बेरहम जमाने में घरेलू हिंसा का दाग - मृणाल पांडे
बीते हफ्ते जब मानसून सत्र में संसद गोकशी, कथित गोरक्षकों द्वारा मचाए गए तांडव और सर्वोच्च न्यायालय भारतीय नागरिकों के निजता अधिकार की परिधि पर बहस में मुब्तिला थे, तभी एक सफल और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर असमिया मॉडल द्वारा पति के हाथों कथित रूप से प्रताड़ित हो आत्महत्या करने की लोमहर्षक रपट भी सुर्खियों में थी। बॉलीवुड की एक युवा अभिनेत्री जिया खान की कथित आत्महत्या भी अब तक...
More »अडानी पर आरोप, क़ानूनी नोटिस और संपादक का इस्तीफ़ा- क्या है पूरी कहानी?
सरकारी नीति में बदलाव करके गौतम अडानी को 500 करोड़ रुपए का फ़ायदा पहुंचाने के आरोप लगाने वाले संपादक ने किन हालात में इस्तीफ़ा दिया, इससे जुड़ी नई बातें सामने आई हैं. अडानी समूह पर आरोप, इसके बाद पत्रिका को नोटिस और उसके बाद संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता का इस्तीफ़ा. अब इस बारे में पत्रिका छापने वाली समीक्षा ट्रस्ट ने बयान जारी किया है. इसमें ट्रस्ट ने पूर्व संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता...
More »जनसंख्या नियंत्रण को राह दिखाता असम-- जयप्रकाश पाडे
महात्मा गांधी ने जब कहा था, ‘धरती पर सबकी जरूरत भर का सामान है, मगर सबके लालच को पूरा करने भर का नहीं', तब उन्हें आभास भी नहीं रहा होगा कि आने वाले समय में उन्हीं का देश जनसंख्या बढ़ोतरी से संत्रस्त हो जाएगा। आज स्थिति यह है कि तमाम कल्याणकारी योजनाएं उस रूप में जरूरतमंदों और आम जन तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं, जिस रूप में उन्हें...
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