लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...
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मनरेगा से आएगी हरियाली
पटना। पर्यावरण के बढ़ते असंतुलन और ग्लोबल वार्मिग के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य सरकार अब मनरेगा का सहारा लेगी। इसके तहत मनरेगा योजना में प्रत्येक 200 पौधों की सुरक्षा की जिम्मेवारी एक मजदूर को दी जाएगी और इसके बदले उन्हें लगातार पांच वषार्ंे तक 100 दिनों का रोजगार दिया जाएगा। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को पटना में यह घोषणा की। मोदी ने राज्य में पहली बार वन नीति बनाए...
More »सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट दिलाएगा कचरे से मुक्ति
रांची. राजधानी को कचरामुक्त करने के लिए ठोस कचरा प्रबंधन सिस्टम लागू किया जाएगा। यह कार्य जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय रिन्युअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत होगा। रांची नगर निगम ने कचरा प्रबंधन सिस्टम प्लांट लगाने के लिए ए टू जेड इंफ्रास्ट्रक्चर लि., गुडग़ांव का चयन किया है। इसके लिए झिरी में जमीन भी दी गई है। इस योजना में लगभग 51.39 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अप्रैल माह से इस योजना पर कार्य...
More »गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र
विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...
More »हिमाचल प्रदेश में उद्योगों के कचरे का अल्लाह मालिक!
शिमला . प्रदेश में उद्योगों से निकलने वाले औद्योगिक कचरे को यहां-वहां फेंका जा रहा है। इस पर चेक के लिए सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठा रही है। प्रतिमाह 850 औद्योगिक इकाइयों से करीब पांच हजार मीट्रिक टन खतरनाक औद्योगिक कचरा निकलता है। इसमें से मात्र 700 मीट्रिक टन ही सही ढंग से निपटाया जा रहा है। बाकी का कचरा इधर-उधर फेंक दिया जाता है। 850 उद्योगों में एक बड़ी...
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