नयी दिल्ली : दुनिया के करीब सात अरब लोगों को प्राणवायु ( ऑक्सीजन ) प्रदान करनेवाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यदि जल्द ही इन्हें बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी. पटना में लंबे समय से जंगलों को बचाने के लिए काम कर रही संस्था तरूमित्र के प्रमुख फ़ादर राबर्ट ने बताया...
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'बच्चे पैदा करने में नंबर वन बन गया है राजस्थान'
जोधपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बच्चे पैदा करने में राजस्थान नंबर वन बन गया है। देश की करीब साढ़े पांच प्रतिशत आबादी राजस्थान में बसती है। इसलिए प्रदेशवासी दो बच्चों के बाद फुल स्टॉप लगाएं, ताकि बच्चों की परवरिश अच्छे से हो सके। उन्होंने चेताया कि अगर ऐसा नहीं होगा तो भविष्य में तकलीफ ही तकलीफ होगी। वे रविवार को मंडोर रोड स्थित विशेष पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के...
More »विकास की बंद गली- भारत डोगरा
जनसत्ता 2 फरवरी, 2012 : हाल के वैश्विक संकट ने विश्व-स्तर पर लोगों को नए सिरे से आर्थिक नीतियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया है। अब आम लोग और विशेषज्ञ दोनों निजीकरण, बाजारीकरण और भूमंडलीकरण पर आधारित मॉडल की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। आम लोगों की बेचैनी की अभिव्यक्ति सबसे प्रबल रूप में आक्युपाइ द वॉल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में हुई है। दूसरी ओर, इस बार...
More »एक सच के साथ तीन झूठ - सुनील
पिछले बीस सालों से विदेशी पूंजी की खुशामद में जन-हित और राष्ट्र-हित की बलि चढ़ाई जा रही है. भारत की सरकारें अमेरिका-यूरोप के बहुराष्ट्रीय हितों के दलालों की तरह बर्ताव कर रही है. खुदरा व्यापार में विदेशी कंपनियों को इजाजत देने पर हुए विवाद पर सफ़ाई में प्रधानमंत्री ने कहा कि फ़ैसला बहुत सोच-समझ कर लिया गया है. प्रधानमंत्री की इस बात में सच्चाई है. यह कोई एकाएक लिया फ़ैसला नहीं है....
More »मुश्किल है गरीबों की पहचान? : हर्ष मंदर
यदि आप किसी गांव में जाएं और ग्रामीणों से पूछें कि यहां रहने वाले लोगों में से कौन गरीब हैं, तो उनके लिए इस सवाल का जवाब देना कठिन नहीं होगा। शायद वे किसी दृष्टिहीन विधवा का नाम बताएं, या किसी बुजुर्ग दंपती की ओर इशारा करें, जो भीख मांगकर पेट भरते हैं, या कर्ज के बोझ तले दबे किन्हीं किसानों का उल्लेख करें। वे गरीबों की अपनी सूची में पिछड़ी जाति के...
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