अपने पिछले लेख में मैंने लोकतंत्र के दुरुपयोग और उसके बिगड़ते स्वरूप का उल्लेख किया था. यह भी जिक्र किया था कि कैसे राजनीतिक दल लोकतंत्र के नाम पर अनाचार में संलिप्त रहते हैं. उसी कड़ी में आज जिक्र एक ऐसे मुद्दे का, जिसने न केवल लोकतंत्र को कमजोर किया है, बल्कि हमारी खुद्दारी और स्वाभिमान पर भी गहरी चोट की है. बात है उस खैरात की, जिसे हर राजनीतिक...
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कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा
किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...
More »स्कूलों में असुरक्षित बच्चे-- अरविन्द कुमार सिंह
यह दिल दहला देने वाला कृत्य है कि जयपुर में एक शिक्षक ने दस साल में तकरीबन दो सौ से अधिक बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया। शिक्षक पर यह भी आरोप है कि वह पीड़ित बच्चों को ब्लैकमेल कर उनसे पैसा भी वसूलता था। स्कूल प्रबंधन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। जहां उसकी जिम्मेदारी आरोपी शिक्षक के कृत्यों की जानकारी पुलिस को देना था, उसने...
More »राजनीतिः नगालैंड में महिला आरक्षण की गुत्थी-- दिनकर कुमार
नगालैंड की राजनीति में महिलाओं की अनुपस्थिति को अच्छी तरह महसूस किया जा सकता है। साठ सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए आज तक एक भी महिला नहीं चुनी जा सकी है। अब तक बस एक बार किसी महिला को सदन में पहुंचने का मौका मिला। उनका नाम रानो एम शाइयिजा था, जो 1977 में लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। नगालैंड की राजनीति में महिलाओं की नगण्य उपस्थिति एक बार...
More »बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम पेश कर गरीबों को साध सकती है मोदी सरकार
नयी दिल्ली : चुनावी मौसम में पेश होने वाली बजट के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम का तोहफा देकर देश के गरीबों को साधने का प्रयास कर सकती है. हालांकि, इसके पहले भी मोदी सरकार गरीबों को साधने कई लोकलुभावनी योजनाएं पेश कर चुकी है, लेकिन अन्य योजनाओं की तरह गरीबों के कल्याण के लिए सरकार की ओर से पेश की गयी योजनाएं भी समय के साथ...
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