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सूखे बुंदेलखंड़ में जल संरक्षण की मिसाल है जखनी गांव

-इंडिया वाटर पोर्टल, भारत में जब भी जल संकट की बात होती है, तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड़ का जिक्र जरूर होता है। यहां पाताल में जाता भूजल, मुंह चिढ़ाते सूखे कुएं-तालाब और दम तोड़ती नदियों के कारण बुंदेलखंड़ में किसान होना अभिशाप हो गया है। पानी की कमी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। पानी का संकट, खेती में नुकसान और रोजगार का अभाव युवाओं को पलायन के लिए...

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कोविड की मार: आधी रह गई नए घर बनने और बिकने की रफ्तार

-इंडिया टूडे, कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के लिए 2020 का साल बेहद खराब रहा है. कोविड की मार के चलते न केवल देश में मकान की बिक्री टूटी है बल्कि नए घर बनने की रफ्तार पर भी ब्रेक लगा है. प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सात प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री 47 प्रतिशत घटकर 1.38 लाख इकाई...

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जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान से पहाड़ों पर बढ़ी भुखमरी

-डाउन टू अर्थ, जलवायु में आ रहे बदलावों और जैव विविधता के घटने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में खाने की कमी लगातार बढ़ती जा रही है। यह जानकारी हाल ही में एफएओ द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट 'वल्नेरेबिलिटी ऑफ माउंटेन पीपल टू फूड इन्सेक्युरिटी' में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि दुनिया की ज्यादातर सबसे महत्वपूर्ण फसलें और मवेशियों की प्रजातियां इन पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं, इसके...

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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया।  हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...

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