पंचायती राज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन का एक विशिष्ट स्वरूप है। हमारे यहां पंच-परमेश्वर की अवधारणा रही है और हमारी संस्कृति में इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। औपनिवेशिक शासन ने हालांकि इस पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास की जमीन तैयार हुई। 24 अप्रैल को यह ऐतिहासिक संविधान संशोधन लागू हुआ...
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कृषि ऋण माफी के आईने में-- वरुण गांधी
साल 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका में कपास उत्पादन को फिर से बढ़ावा मिलने का नतीजा यह हुआ था कि वहां भारतीय कपास की मांग काफी कम हो गयी. इसके चलते बंबई प्रेसिडेंसी में किसानों से कपास की खरीद में कमी आयी और भुगतान-संबंधी मांग बढ़ गयी. कर्जदाता इच्छुक किसानों को कर्ज देने में हिचकने लगे या फिर वे बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने...
More »सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप : 'मनरेगा को मारने की कोशिश कर रही सरकार'
क्या सरकार बजट में मनरेगा को लेकर किए गए अपने वादे से पीछे हट रही है ? ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जमीनी क्रियान्वयन पर नजर रखने वाले नागरिक-संगठनों के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि 'हां, सरकार मनरेगा के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है!' नई दिल्ली स्थित विमेन्स प्रेस कॉर्प में बीते 19 अप्रैल को हुई एक बैठक में मनरेगा के जमीनी क्रियान्वयन से जुड़े जाने-माने कार्यकर्ताओं ने सरकारी स्तर...
More »झारखंड में मनरेगा : 72 करोड़ का भुगतान लंबित
रांची : वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान झारखंड में हुए मनरेगा कार्यों का करीब 72 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं विलंब से भुगतान के लिए मजदूरों को करीब 22 लाख रुपये का मुआवजा भी नहीं मिला है. जिन मजदूरों को काम करने के 15 दिनों के अंदर मजदूरी नहीं मिलती, उन्हें लंबित मजदूरी का 0.05 फीसदी की मामूली दर से मुआवजा देने का प्रावधान है. कुल बकाया...
More »किसानों से अब भी दूर है फसल बीमा योजना-- के सी त्यागी
पिछले साल की तरह इस साल भी अप्रैल की बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने रबी की फसल व बागवानी को काफी नुकसान पहुंचाया। इस प्राकृतिक आपदा ने पहले से बदहाल किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। उत्तर भारत में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में विदर्भ के किसान इससे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अब लाखों किसान सरकारी कार्यालयों और बीमा कंपनियों के चक्कर काटने को...
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