भोपाल : वर्ष 1984 में हुई दुनिया की भीषणतम औद्योेगिक त्रासदी, भोपाल गैस हादसे की 31 वीं बरसी के एक दिन पहले गैस पीडितों के इलाज के लिये काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एनजीओ ‘संभावना ट्रस्ट' के अध्ययन में गैस पीड़ित या बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के आसपास के इलाकों के प्रदूषित भूजल से पीड़ित माता-पिता के जन्मजात विकृतिग्रस्त पैदा हुए 2500 बच्चों की पहचान करने का दावा...
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समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
More »स्कूल से नाम कटा, अब कर रहे मजदूरी
मोहनिया(सदर) : दुर्गावती प्रखंड के डिड़खिली गांव के इन बच्चों की उम्र करीब 10 से 12 वर्ष के बीच है. सड़क किनारे लगे पेड़ों से लकड़ी काट गठ्ठर सिर पर लिये एनएच दो से हो कर अपने घर जा रहे हैं. बच्चों ने बताया कि उनका नाम उत्क्रमित मध्य विद्यालय डिड़खिली में लिखवाया था. लेकिन, एक शिक्षिका द्वारा पिटाई करने की शिकायत घरवालों से करने पर उनका नाम विद्यालय से काट...
More »डॉक्टरों, शिक्षकों को अब मुखिया देंगे छुट्टी
रांची : सरकार ने स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के अधिकारों को पंचायती राज संस्थाओं को देने फैसला किया़ इसके तहत अब मुखिया प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और डॉक्टरों को आकस्मिक अवकाश (सीएल) देेंगे़ मुखिया के माध्यम से ही उपस्थिति का विवरण भेजे जाने पर प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और डॉक्टरों के वेतन का भुगतान होगा़ बुधवार को हुई झारखंड कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया़. अब ग्राम...
More »छह दशकों में बदल डाली तसवीर
गांव में रहनेवाले बच्चे आमतौर पर प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा या नौकरी के इरादे से बड़े शहरों का रुख कर लेते हैं. लेकिन 84 साल के हो चले भीखूभाई व्यास ने ऐसा नहीं किया़ युवावस्था में अपने गांव को छोड़ जाने से बेहतर उन्होंने अपनी मिट्टी से जुड़े रह कर उसे संवारने का बीड़ा उठाया़ आइए जानें कैसे़ गुजरात के...
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